नौ दिवसीय नवरात्रि (Nine day Navratri) पर्व देवी दुर्गा को समर्पित हैं और इस उत्सव को पूरे भारत में हर्षोंउल्लास के साथ मनाया जाता हैं। नवरात्रि शब्द संस्कृत के नव और रत्रि शब्द से बना हैं, जिसका अर्थ है नौ रातें। चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और शरद नवरात्रि (सितंबर) दो सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि हैं जो कि साल में दो बार गर्म जोशी के साथ मनाई जाती हैं। बता दें कि नवरात्रि के नौ (Nine day Navratri) दिनों में मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है। इस बार नौ दिवसीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत 26 सितंबर यानी की सोमवार के दिन से हो रही हैं।
नवरात्रि के पहले दिन से ही माता की चौकी लगाोई जाती हैं और कलश स्थापना की जाती हैं। कहते हैं इन नौं दिनों में पूरे विधि – विधान से पूजा करने पर दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मन्नोंकामना पूरी करती हैं। इसलिए इन नौं दिनों पूरे विधि- विधान से पूजा किए जाना जरूरी हैं। तो चलिए आज हम इस लेख के जरिये माता की पूजन विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नौ दिवसीय नवरात्री की जानें पूजन विधि
दरअसल नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती हैं। पहले दिन की शुरूआत से ही पूजा की काफी सामग्री की जरूरत होती हैं। नवरात्रि के पहले दिन के लिए एक दिन पहले से ही पूजा सामग्री की तैयारी के लेनी चाहिए। बता दें कि आखिर पूजा पूजन सामग्री के लिए किन चीजों की जरूरत होती हैं?
कलश, मौली, आम के पत्ते (5-7), कलश में डाने के लिए रोली, कुमकुम, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत, जौ, जौ बोने के लिए मिट्टी का एक बड़ा बर्तन, मिट्टी, कलावा आदि सामान की जरूरत पड़ती हैं। वहीं, हवन के लिए लकड़ियां, हवन कुंड, काले तिल, कुमकुम, अखंड अक्षत, धूप, प्रसाद के लिए पंचमेवा, लोबान, घी, लौंग, गुग्गल, कपूर, सुपारी और हवन के अंत में चढ़ाने के लिए भोग।
इस तरह किया जाता हैं मां का ऋंगार
हालांकि नवरात्रि के पहले दिन दुर्गा मां का ऋंगार किया जाता हैं। उन्हें ऋंगार में शामिल सभी चीजें अर्पित की जाती हैं। बता दें कि मां के ऋंगार के लिए एक लाल रंग की चुनरी, सिंदूर, इत्र, बिंदी, लाल चूड़ियां, मेहंदी, काजल, लिपस्टिक, कंघा, नेल पेंट आदि सामान की जरूरत होती हैं।
नवरात्रि के पहले दिन करें ऐसे पूजा
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए और सूरज को पानी देना चाहिए। उसके बाद पूरे घर की सफाई कर के पूजा के स्थान को गंगाजल से साफ करें। इस के बाद माता की प्रतिमा का स्थापित करना चाहिए। फिर माता के आगे जौत जलानी चाहिए। साथ ही मां को अक्षत, सिंदूर, लाल रंग के पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें और पूजा आरंभ करें। कहते हैं कि इस दौरान कुश के आसन का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर कुश का आसान न हो तो किसी कपड़े या आसान का इस्तेमाल करना चाहिए।
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