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सास, बहू की लड़ाई न हो इसलिए बिना नंबर की जर्सी के खेला क्रिकेट

सास, बहू की लड़ाई न हो इसलिए बिना नंबर की जर्सी के खेला क्रिकेट

नई दिल्ली, टीम इंडिया के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग एक अलग मिजाज़ के ओपनर थे। उनका खेलने का एक अलग अंदाज़ था। बैटिंग के साथसाथ उनकी एक और चीज़ चर्चा में रहती थी। और वो है उनकी जर्सी का नंबर। वो करियर के शुरुआती दिनों में अलगअलग नंबर की जर्सी के साथ बैटिंग के लिए आते थे। और फिर बाद में वो बिना नंबर वाली जर्सी के साथ बैटिंग करने के लिए आने लगे। आखिर वो क्यों बिना नंबर वाली जर्सी के साथ खेलते थे। इस राज से उन्होंने खुद पर्दा उठाया है। सहवाग के मुताबिक उनकी जर्सी सासबहू की लड़ाई में फंस गई थी।

सासबहू की लड़ाई में फंस गई थी जर्सी

सहवाग ने अपने खास शो वीरू की बैठक में कहा है कि जर्सी के नंबर को लेकर उनकी मां और बीवी की अलगअलग पसंद थी। लिहाजा दोनों को खुश करने के लिए उन्होंने बिना नंबर वाली जर्सी पहनने का फैसला किया। उन्होंने कहा, मैं जब पहली बार खेला वनडे क्रिकेट तो मुझे मिला नंबर 44। मेरी मम्मी जब ज्योतिषियों के पास जाती थीं तो वो कहते थे कि ये 44 नंबर सहवाग के लिए ठीक नहीं है। जब मेरी शादी हुई तो मेरी बीवी कहती थी ये नंबर सूट नहीं करता आपको, बदल दो। मम्मी ने कहा कि 46 नंबर ले लो जबकि बीवी ने कहा 2 नंबर ले लो। तो सासबहू की लड़ाई न हो तो मैंने नंबर ही नहीं लिया। क्योंकि घर खुश तो मैं भी खुश।

सहवाग का तर्क

साल 2008 में पहली बार सहवाग बिना नंबर वाली जर्सी के साथ मैदान पर खलने के लिए उतरे थे। उस वक्त जब उनसे पूछा गया था कि आखिर क्यों बिना नंबर वाली जर्सी के साथ खेलने का फैसला किया तो सहवाग ने कहा था कि अगर टेस्ट में बिना नंबर वाली जर्सी के साथ खेलते हैं तो फिर वनडे में क्यों नहीं। उस वक्त सहवाग ने ये भी कहा था कि उनके परिवार को कई लोगों से नंबर बदलने को लेकर सलाह मिलती थी। ऐसे में तंग आकर उन्होंने बिना नंबर वाली जर्सी पहनने का फैसला किया।

उठाए थे आईसीसी ने सवाल

 

बता दें कि साल 2011 के वर्ल्ड कप में सहवाग की जर्सी को लेकर हंगामा मच गया था। दरअसल सहवाग ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले मैच में बिना नंबर वाली जर्सी के साथ बैटिंग की थी। इससे बाद आईसीसी ने उन्हें चेतावनी थी। हालांकि बाद में बीसीसीाई की दखलअंदाजी के बाद मामला सुलझ गया था। सहवाग ने इस मैच में 175 रनों की पारी खेली थी।

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