Posted inक्रिकेट

पिता की हत्या में पुलिस की नाकामी देख 22 लाख की नौकरी छोड़ बने आईपीएस, दबंगो की निकाली हेकड़ी

पिता की हत्या में पुलिस की नाकामी देख 22 लाख की नौकरी छोड़ बने आईपीएस, दबंगो की निकाली हेकड़ी

लखनऊ- आपने बहुत सी फिल्में ऐसी देखी होंगी जिनमे बेटा अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए पुलिस में भर्ती होता है और दुश्मनों का सफाया करता है। पर हम आज आपको वास्तविक जिन्दगी के ऐसे हीरो से मिलाने जा रहे हैं जिसने अपने चार भाई – बहन को ऐसे मौके पर सहारा दिया जब दबंगों ने उनके पिता की हत्या कर दी थी। सबसे बड़ी बात है कि 22 लाख की नौकरी छोड़ आईपीएस बन अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाई।

यूपी के जालौन जनपद के नौरेजपुर गांव के रहने वाले नीरज कुमार एक मामूली किसान के बेटे हैं। उनके पिता सिर्फ 12वीं तक पढ़े थे, जबकि उनकी मां आशा देवी 8वीं तक। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज की स्कूलिंग कानपुर में हुई। नीरज ने बीएचयू से साल 2005 में बीटेक की डिग्री पूरी की थी। उसके तुरंत बाद उनकी नौकरी नोएडा की एक कंपनी में लग गई, जहां उन्होंने एक साल तक काम किया।

पिता की गोली मारकर हत्या हुई

नीरज ने एक इंटरव्यू में मीडिया को बताया, “6 दिसंबर 2008 का वो काला दिन कभी नहीं भूल सकता, जब खेत के विवाद में मेरे पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मैं तब 26 साल का था।” पिता की हत्या के बाद इनकी मां, बहन उपासना और भाई पंकज, रोहित व राहुल दादा कम्मोद सिंह जादौन के पास रहने लगे था। पिता की हत्या के समय वह बेंगलुरू में थे। न्याय पाने के लिए केस की पैरवी शुरू की तो पुलिस का रवैय्या देख चौंक गए।

पुलिस पीड़ित की मदद करने के बजाए आरोपितों के साथ खड़ी थी। व्यवस्था की इस बड़ी खामी ने नीरज को बुरी तरह से तोड़ डाला। पर पिता का चेहरा बार-बार इंसाफ की गुहार करता। आखिकार नीरज ने अपनी 22 लाख रुपए सालाना की नौकरी को ठुकरा कर व्यवस्था को दुरूस्त करने की ठानी। और आइपीएस बनने का इरादा पक्का किया।

नीरज ने बताया,

“2012 में मुझे 546वीं रैंक के साथ इंडियन पोस्ट एंड टेलीकम्युनिकेशन अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विसेज में पोस्ट मिली, लेकिन मैं पुलिस सर्विसेज में ही जाना चाहता था। उम्र अधिक होने की वजह से 2013 का एग्जाम नहीं दे पाया। 2014 में एज रिलैक्सेशन मिला और मैंने 140वीं रैंक हासिल की। इसके बाद पिता को न्याय मिल गया और आरोपितों की हेकड़ी ढीली हो गई और स्थानीय पुलिस ने भी नियमानुसार कार्रवाई की।”

रियल लाइफ के सिंघम हैं नीरज

एएमयू में जिन्ना की फोटो लेकर हुए मई-2018 में हुए बवाल में भी हालात संभालने के लिए नीरज जादौन आगे रहे। फरवरी-2019 में छात्र राजनीति को लेकर विधायक के बेटे पर गोली चलाने के बाद पैदा हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद वहां के सीओ को हटाकर नीरज जादौन को भेजा गया। वहां भी उन्होंने हालात को काबू किया। फरवरी-2019 से गाजियाबाद एसपी देहात के रूप में तैनात नीरज जादौन ने एनआरसी व सीएए के विरोध और फिर दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान बॉर्डर पर हालात भी संभाले।

लाल बाग सब्जी मंडी से 100 मीटर दूर दंगाई उत्पात करते हुए दुकान में लूट के बाद घर आग के हवाले करने का प्रयास कर रहे थे। छत पर महिला व बच्चे रो रहे थे। नीरज जादौन ने सीमा लांघी और दिल्ली में घुस सैकड़ों की संख्या में पेट्रोल बम व पत्थर हाथ में लिए दंगाइयों को चेतावनी देकर खदेड़ा।

 

 

 

 

ये भी पढ़े:

10वीं पास लड़कों ने खेतों में बैठ MBA पास लोगों को लगाया करोड़ो का चुना |

कहां गए सुशांत सिंह राजपूत के 15 करोड़ रुपए? कहीं ये तो नहीं है असली सच |

ट्विंकल खन्ना ने बताया क्यों नहीं बन सकीं अक्षय कुमार से बड़ा स्टार |

नाम के पहले अक्षर से जानें अपनी लव लाइफ, भूलकर भी न करें इस नाम के लोगों से प्यार |

ऐसा दिखता है कंगना रनौत का मुंबई वाला लक्ज़री ऑफिस, देखें इनसाइड तस्वीरें |

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version