क्या हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गिरफ़्तारी का ही सरकार इंतज़ार कर रही थी. लगता तो ऐसा ही है, क्यूंकि जैसे ही 9 जुलाई को विकास गिरफ्तार हुआ कि लॉकडाउन भी कर दिया गया. हालाँकि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण यह निर्णय लिया गया है.
गौरतलब है कि विकास दुबे ने 2 जुलाई की रात को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 8 पुलिस जवानों को मौत की नींद सुला दिया था. तभी से एसटीएफ सहित बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स फरार विकास की तलाशी में लगी हुई थी, लेकिन घटना के 6 दिन बाद मध्यप्रदेश में उसे गिरफ्तार कर लिया गया, हालाँकि उसने खुद ही आत्मसमर्पण कर दिया था.
विकास दुबे की गिरफ्तारी का लॉकडाउन कनेक्शन?
हालांकि जानकार लॉक डाउन का कनेक्शन भी विकास की गिरफ्तारी से जोड़ रहे हैं. दूसरी ओर विकास के अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए अभी भी पुलिस जगह दबिश दे रही है. माना जा रहा है कि लॉक डाउन का फायदा भी कहीं ना कहीं मिल सकता है. क्योंकि यूपी की सीमा के बाहर इन दिनों के लिए ना तो कोई बाहर जा सकता है और ना ही प्रवेश मिलेगा.
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ना सरकार का उद्देश्य
कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ही लॉकडाउन का फैसला सरकार ने लिया है. ताकि एक दूसरे में फैल रहे कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके. ऐसा माना जा रहा है कि यह लॉकडाउन आगे भी बढ़ सकता है.
1 महीने में न केवल लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए पूर्ण लॉक डाउन आदेश दिया गया है. इसे ना मानने वाले को जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है.
विकास दुबे गिरफ्त में सूबे के बाहर नहीं भाग सकेंगे गुर्गे
विकास दुबे के गिरफ्तार होते ही उत्तर प्रदेश सरकार के लॉकडाउन का फैसला बिलकुल ठीक है, क्यूंकि अगर विकास दुबे की गिरफ्तारी से पहले लॉकडाउन होता तो वो बाहर नहीं निकलता, इधर प्रदेश की पुलिस लोगों को कोरोना से बचाने में लगी रहती और उधर विकास देश के बाहर.
अब जब विकास गिरफ्त में है तो उसके गुर्गे प्रदेश से बाहर निकलने की सोचेंगे क्यूंकि अब उन्हें सह देने वाला कोई नहीं है, ऐसे में उनका प्रदेश से बाहर निकल पाना मुश्किल ही है, अब लॉकडाउन की जाल में फंसा कर उत्तर प्रदेश पुलिस और STF उन्हें आसानी से धर दबोचेगी और और शहीद जवानों के साथ त्वरित न्याय होकर रहेगा.