कानपूर एनकाउंटर का मुख्य हत्या आरोपी विकास दुबे ऐसे सभी लोगो के लिए एक नज़ीर बन गया है जो अपने घमंड में चूर होकर किसी भी हद तक चला जाए और निर्दोषों की भी जान ले ले. अभी दस दिन पहले तक ही उसका रसूख इस कदर था कि खाकी और खादी सभी उसके सामने जी हज़ूरी बजाते थे, लेकिन दस दिन बाद ही किस्मत ने जिंदगी की पूरी सूरत ही बदल कर रख दी, कि उसकी मौत के बाद घंटो उसका मृत शरीर किसी अपने के आने का इंतज़ार करता रहा. इसीलिए कहावत कही गई है कि दुनिया में काम ऐसे करो की मौत पर कम से कम चार कंधे तो मिल ही जाए।
बहनोई ने लिया शव
हालाँकि घंटो बाद विकास के बहनोई उसका शव ले गए और भैरो घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, घाट पर पत्नी ऋचा और बेटा भी मौजूद रहे. इस तरह आठ पुलिस जवानो की हत्या आरोपी का अंत हो गया. हांलाकि विकास पर कई हत्याओं का आरोप है और 71 मुकदमा दर्ज़ थे.
गौरतलब है कि 2 जुलाई की रात पुलिस टीम उसके कानपूर चौबेपुर बिकरू गांव के घर पर दबिश देने गई थी , जिसकी जानकारी विकास को मिल गई थी. इस पर उसने अपने साथी -बदमाशों को बुला लिया और दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला बोल दिया था। इस मुठभेड़ में 8 पुलिस जवान शहीद हो गए थे.
विकास कानपुर एनकाउंटर मामले में घटना को अंजाम देकर फरार हो गया था. उसकी तलाश में पुलिस ने जगह- जगह दबिश दी लेकिन उसका सुराग नहीं मिला। 9 जुलाई को उसने मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण कर दिया। उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ उसे कानपूर रिमांड पर ला रही थी.
कानपुर के पास भौती में हुआ एनकाउंटर
एसटीएफ के मुताबिक मार्ग में वह गाड़ी दुर्घटना ग्रस्त हो गई जिससे विकास को लाया जा रहा था. गाड़ी पलटने पर उसने पुलिस की गन छीन कर भागने की कोशिश की जिसमे वह घायल हो गया. हॉस्पिटल लाते हुए उसकी मृत्यु हो गई. जानकारों का कहना है कि अभी इस घटना में शहीदों के परिवारों को न्याय नहीं मिला जब तक की विकास को पालने वालों को सजा नहीं मिल जाती।
गौरतलब है कि इस घटना के बाद से ही कई राजनीतिक पार्टी के मंत्रियो और पुलिस अधिकारियों के साथ विकास की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी.