विकास दुबे को पुलिस के हाथ देने वाले उज्जैन मंदिर के पुजारी इन दिनों काफी परेशान चल रहे है। विकास दुबे को पकडवा कर उन्होंने अपने ऊपर ही मुसीबत ले ली है। इनाम की जगह उन्हें मंदिर से बाहर करने का नोटिस थमा दिया गया। हालांकि बाद में अंतिम मौका देकर छोड़ा गया। वर्तमान में भी दोनों मंदिर में काम कर रहे हैं लेकिन उनकी व्यथा बरकरार है। कर्मचारी का कहना है कि मंदिर प्रशासन चाहता है कि कुख्यात अपराधी मंदिर में आए तो आंख-कान बंद कर लिए जाएं।
क्या हुआ था उस दिन
पुजारी ने बताया कि विकास मंदिर में जब पहुंचा था तो सबसे पहले बातचीत गौशाला प्रभारी गोपाल सिंह कुशवाहा से हुई। गोपाल बताते हैं कि उसके कंधों पर एक बैग था। मुझसे इतना ही पूछा कि यह बैग कहां रख दूं। मैंने उसे गेट का रास्ता दिखाया। वह उस तरफ बढ़ गया। वहां पर गरीब भोजन प्रसादी प्रभारी राजेन्द्र तिवारी मौजूद थे। विकास उनसे मिला तो उन्होंने बैठा लिया।
पेपरों में उन्होंने फोटो देख रखी थी। उन्होंने मुझे सूचना दी तो मैं भी वहां पहुंच गया। हम दोनों ने उसे बैठा लिया। यह जाहिर नहीं होने दिया कि उसे पहचान गए हैं। उसके बाद गोपाल ने महाकाल चौकी के दरोगा को बुलवा लिया और विकास को उनके सुपुर्द कर दिया।
इनाम के नाम पर मिला मंदिर निकाला
गोपाल जो कि मंदिर के पुजारी है उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ मंदिर प्रशासन को नोटिस जारी किया है, जिसमें लिखा गया था कि गोपाल और राजेन्द्र की गतिविधि संदिग्ध है। इस पूरे मामले में वह लोग कुछ छिपा रहे हैं। लिहाजा उन्हें
मंदिर से बाहर कर दिया जाए। गोपाल से पूछा गया कि उन्हें यह नोटिस क्यों दिया गया।
इस पर उन्होंने बताया कि विकास दुबे से पहले भदोही के एक विधायक भी वांछित चल रहे थे। वह भी महाकाल दर्शन करने आए थे। उनके बारे में मुझे मेरे दोस्त ने जानकारी दी थी तो मैंने उन्हें भी पकड़वाया था। इस कारण मेरी गतिविधि संदिग्ध मान ली गई। गोपाल ने कहा कि मंदिर प्रशासन और पुलिस चाहती है कि किसी शातिर को देखो तो आंख बंद कर लो, कुछ न कहो।