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बॉलीवुड की इस फिल्म को 100 से अधिक बार देखा था विकास दुबे, रियल लाइफ में भी दोहराया कई सीन

बॉलीवुड की इस फिल्म को 100 से अधिक बार देखा था विकास दुबे, रियल लाइफ में भी दोहराया कई सीन

विकास दुबे मारा जा चुका है लेकिन उससे जुड़ी खबर लोगों के जहन में अभी भी है। लोग उसकी एक-एक चीज जानने को उत्सुक हैं। वो गैंगस्टर था जाहिर है कि उसके सारे शौक भी किसी गैंगस्टर की तरही रहे होंगे उसने तो शादी भी एक गैंगस्टर की तरह ही की थी और पत्नी को भगाकर लाया था बड़ी बात ये है कि वो फिल्मों का बहुत शौकीन था।

100 बार देखी एक फिल्म

विकास दुबे को शुरू से ही फिल्में देखने का बड़ा शौक था। वो फिल्मों के व्यक्तित्व को देखकर बहुत प्रभावित रहता था। विकास दुबे का बचपन शास्त्री नगर, काकादेव, गीता नगर व आसपास मोहल्लों में पला-बढ़ा। उसे फिल्में देखने का शौक शुरू से था।

वर्ष 1999 में जब वह अपराध की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ा रहा था तभी सिनेमाघरों में रिलीज हुई ‘अर्जुन पंडित’ फिल्म देखी। इस थ्रिलर फिल्म अभिनेता सनी देओल एक ताकतवर व्यक्ति के किरदार में दिखते हैं। वह धोखा खाने के बाद गैंगस्टर बनते हैं ये बात विकास दुबे के मन में बैठ गई।

दोहराए सारे फिल्मी दृश्य

विकास ने भी शुरुआती जीवन में कई बार धोखे खाए। इससे खुद की जिंदगी को फिल्मी अंदाज में ढाला। पुलिस, प्रशासन व दबंगों के बीच खुद को ‘विकास पंडित’ के रूप में पेश किया। करीबी बताते हैं कि यह फिल्म उसने करीब 100 बार देखी थी।

विकास खुद को फिल्म के अभिनेता की जगह फिट कर जिंदगी के सीन दोहरा रहा था‌। जब किसी ने उसे छेड़ा तो फिर किसी को छोड़ा नहीं। आपराधिक घटनाएं करने के बाद फरारी काटने से लेकर सरेंडर करने का अंदाज हर बार फिल्मी ही रहा वो फिल्मों की सारे सीन असल जिंदगी में दोहरा रहा था।

रोजगार में की मदद

विकास ने कानपुर बिल्हौर- चौबेपुर की सीमा तक खूब कमाया उस इलाके में उसकी तूती बोलती रही। उद्योगपतियों को जमीनें दिलवाने में जमकर कमाई की। बदले में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को उनके उद्यमों में नौकरियां दिलाकर मसीहा भी बन गया।

यही नहीं विकास दुबे की सिफारिश पर सैकड़ों की संख्या में युवक नौकरियां कर रहे हैं। इसका फायदा चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों के साथ युवाओं के स्वजन को खड़ाकर उठाया और नेताओं के साथ भी सांठ-गांठ कर विकास दुबे माफिया बन गया था‌।

ऑन-द-स्पॉट फैसला

खबरों की मानें तो विकास दुबे कानपुर के गीता नगर के साथ गांव बिकरू में सीधी अदालतें चलाता था। इसमें जमीन के मामलों, आपसी रंजिश, उससे जुड़े किसी व्यक्ति को परेशान करने वालों को लेकर ऑन द स्पॉट फैसले सुनाता था। जानकारियां यहाँ तक मिली कि उसकी अदालत में अनसुनी करने पर कई बार संबंधित लोगों को पीटा भी जाता था फिर भी कोई उसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलता था।

 

 

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