Kanwar Yatra : सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस पवित्र महीने में शिव की पूजा और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। काफी समय से लोग कांवड़ यात्रा लाकर विशेष शिव मंदिर में सावन की शिवरात्रि को जलाभिषेक करते है। इससे उनके सारे दुःख-दर्द समाप्त होकर उनकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।
ऐसे में हम आपको सावन की इस कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रहे है।
सावन में कांवड़ यात्रा और शिव भक्ति का विशेष महत्व
हरिद्वार, गोमुख और गंगोत्री जैसे पवित्र स्थलों से कांवड़ में गंगाजल भरने के बाद कांवड़िये आस-पास के शिव मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद ही उनके व्रत और अनुष्ठान पूरे होते हैं। कांवड़ यात्रा पर जाते समय भक्तगण ‘बम बोले’, ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाते हैं और भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर कांवड़ में गंगाजल लाने के लिए निकल पड़ते हैं।
लोगों के मन में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति है कि कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी। आइए आपको बताते हैं कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की तिथि, महत्व और यह भी कि पहली बार कांवड़ यात्रा कब और कैसे शुरू हुई।
सावन में कांवड़ यात्रा कब से और कब तक चलेगी?
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कांवड़ यात्रा को लेकर पौराणिक कथा

कांवड़ यात्रा का हिन्दू धर्म में महत्व

कावड़ यात्रा की सपूर्ण जानकारी
विवरण | तिथि / जानकारी |
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कांवड़ यात्रा का शंखनाद (शुरुआत) | शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (हिन्दू पंचांग अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा) |
कांवड़ यात्रा का समापन | सोमवार, 21 जुलाई 2025 (सावन का पहला सोमवर) |
जलाभिषेक का मुख्य दिन | सोमवार, 21 जुलाई 2025 (सावन का पहला सोमवार) |
यात्रा की कुल अवधि | लगभग 18 दिन |
मुख्य दिन कौन सा है? | सावन का पहला सोमवार, शिवलिंग पर जल अर्पण का दिन |
प्रमुख मार्ग | हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री से जल भरकर पैदल अपने गांव या शहर के शिव मंदिर तक |
सावधानी और सुरक्षा | भारी भीड़, ट्रैफिक बदलाव, हेल्थ सेवाएं, ध्वनि सीमा लागू |
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