Ias Officer

नई दिल्ली: भारत में हर साल लाखों लोग सिविल सर्विसेज की तैयारी करते है कुछ इसमें सफल हो जाते है तो वहीं, कईयों का IAS Officer बनने का सपना अधूरा ही रह जाता है। लेकिन कहते हैं ना अगर कुछ पाने का जूनून हो तो दुनियां की कोई भी ताकत आपको उसे पाने से नहीं रोक सकती। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर से सामने आया है। जहां की उर्वशी सेंगर ने अपनी मुश्किलों और आर्थिक परेशानियों से लड़ते हुए आईएएस अफसर (IAS Officer) बनने का सपना पूरा कर दिखाया है।

दो बार हुई विफल तीसरी बार में की सफलता हासिल

Ias Officer

गौरतलब है कि, सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर पाना इतना भी आसान नहीं होता है। वो भी तब जब आप दो बार विफल हो चुके हो, ऐसे हालात में ज्यादातर लोग हार मान लेते हैं। लेकिन बावजूद इसके उर्वशी सेंगर (Urvashi Sengar) ने सिविल सर्विस की तैयारी जारी रखी और UPSC की परीक्षा पास कर आखिरकार सरकारी पद हासिल करने में कामयाब हो ही गई। आइए जानते हैं उर्वशी सेंगर के बारें में जिन्होंने अपने रास्ते में आने वाले तमाम कठिनाइयों से लड़ते हुए अपने (IAS Officer) के सपने को पूरा किया।

उर्वशी ने घर में रह कर की यूपीएससी की तैयारी

Ias Officer

यह कहानी है ग्वालियर के हजीरा के रहने वाले रविंद्र सेंगर की जिनके तीन बेटियां और एक बेटा है। उर्वशी सेंगर (Urvashi Sengar) ने अपनी शुरुआती पढ़ाई और ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन ग्वालियर से ही किया। उसके बाद उन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षा भी ज्योग्राफी से क्वालिफाई किया। जिसके बाद आईएएस अफसर (IAS Officer) बनने की तैयारी करने के लिए वह दिल्ली गई लेकिन वह अधिकतर समय अपनी तैयारी अपने घर में रहकर खुद से ही करती थी।

यूपीएससी के लिए ठुकराया एसडीएम का पद

Urvashi Sengar

उर्वशी (Urvashi Sengar) ने साल 2017 में पहला और साल 2019 में दूसरा अटेम्पट दिया था। जिसमें वह प्रीलिम्स क्वालिफाई नहीं कर पायी थीं। यह उनका तीसरा अटेम्पट था। इस दौरान उन्होंने यूपीपीएससी की परीक्षा भी दी। फरवरी माह में उनका रिजल्ट आया था। उसमें उनकी 54वीं रैंक थी और एसडीएम का पद मिला था लेकिन उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की वजह से यहां ज्वाइन नहीं किया था। उन्होंने अपनी ज्वाइनिंग को डिले कर दिया था।

फीस के लिए पिता को बेचनी पड़ी थी जमीन

Ias Officer

उर्वशी (Urvashi Sengar) ने अपने तैयारी के दिनों के बारें में बताते हुए कहा कि जब हुआ दिल्ली में रहकर पढ़ाई करती थी तब वह ज्यादा समय रिश्तेदारों के घर ही रहती थी क्योंकि उनके पास कोचिंग की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने आगे बताया कि जब वह किराए के मकान पर रहने लगी तब उन्हें किराया देने के लिए कोचिंग के साथ-साथ नौकरी भी करनी पड़ी। यहां तक की उन्हें यूपीएससी की कोचिंग में एडमिशन दिलाने के लिए उनके पिता को अपनी जमीन बेचनी पड़ी थी।

उर्वशी ने दी ये सीख

उर्वशी ने बताया कि टाइम मैनेजमेंट बहुत ही जरुरी है। आप कभी यह मत सोचिए कि लोग क्या कह रहे हैं अगर आप ठान ले तो जरुर उस सपने को पूरा कर के दिखाइए। अपने आप को कम मत आकिए और लगातार कोशिश करते रहिए सफलता हर हाल में आपके कदम चूमेगी।