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England tour : टीम इंडिया जब इंग्लैंड दौरे (England tour) पर उतरेगी, तो निगाहें प्लेइंग XI पर होंगी। लेकिन दो ऐसे भी हैं, जो टीम में शामिल होने के बावजूद मैदान पर उतरने का सपना ही देखते रह जाएंगे। इन खिलाड़ियों ने घरेलू स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है, मगर सीनियर खिलाड़ियों के कारण उन्हें एक बार फिर बेंच पर बैठना पड़ सकता है। हैरानी की बात ये है कि इनमें से एक ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रोहित की गैरमौजूदगी के बावजूद प्लेइंग XI में जगह नहीं बना सका।

घरेलू रन मशीन, लेकिन England tour में फिर रहेंगे अनदेखे?

England Tour

हम बात कर रहे हैं अभिमन्यु ईश्वरन और सरफराज खान की। दोनों ने लगातार घरेलू क्रिकेट में रन बनाए हैं। 29 वर्षीय अभिमन्यु बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 की टीम में भी शामिल थे। लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला और अब England tour पर भी यही हो सकता है।

रोहित शर्मा BGT Trophy के पहले टेस्ट में अनुपलब्ध थे, लेकिन इसके बावजूद ईश्वरन को मौका नहीं मिला और टीम ने यशस्वी के साथ राहुल को उतारा। अब इस दौरे (England tour) पर रोहित के संन्यास के बाद राहुल ओपनिंग की भूमिका निभाते रह सकते हैं।

बैकअप के तौर पर भारतीय टीम में बी. साई सुदर्शन या देवदत्त पडिक्कल को प्राथमिकता दी जा सकती है। ऐसे में अभिमन्यु  ईश्वरन का इंग्लैंड दौरा ((England tour)) एक बार फिर सिर्फ ट्रैवलिंग रिजर्व तक सीमित रह सकता है।

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मुंबई का सितारा भी दरकिनार

सरफराज खान को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की स्क्वाड में शामिल किया गया था, तो लगा था कि घरेलू क्रिकेट में उनके विस्फोटक प्रदर्शन का फल मिल गया। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक भी टेस्ट में उन्हें मौका नहीं मिला।

दिसंबर 2024 के बाद उन्होंने कोई प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेला है। इस वजह से इंग्लैंड दौरे (England tour) पर चयनकर्ताओं का भरोसा अब करुण नायर की ओर जाता दिख रहा है, जिन्होंने विदर्भ के लिए घरेलू सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

बाहर रहकर बढ़ेगा दबाव

इन दोनों खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उन्हें लगातार रन बनाने के बावजूद मौके नहीं मिल रहे। इंग्लैंड दौरे (England tour) पर जब टीम को अनुभव और फार्म दोनों की जरूरत है, तब उनका चयन होना जरूरी लगता है।

लेकिन यदि दोनों को इंग्लैंड दौरे (England tour) पर प्लेइंग इलेवन से बार-बार बाहर रखा गया, तो उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ेगा, इन दोनों बल्लेबाज़ों के लिए उम्मीद अब भी बची है, लेकिन समय के साथ चयनकर्ताओं का धैर्य और इनका सब्र-दोनों की परीक्षा जारी है।

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