Pulwama Attack: पुलवामा हमले में शहीद बिहार के लाल के परिवार का रो-रो कर बुरा हाल, नहीं मिल रही कोई मदद

पुलवामा हमले में जिन परिवार के बेटे शहीद हुए थे, उन परिवार के जख्म भरने में सालो  लग जायंगे. आज ही के दिन 14 फरवरी को पुलवामा हमले में जिस परिवार का बेटा देश के लिए शहीद हुआ हो, उसके जख्म भरने में दशकों लग जाते हैं,आज हम बात करेंगे उस शहीद के परिवार के बारे में जिसका अपमान भी हुआ और उनके साथ इंसाफ भी नहीं हुआ.

बिहार के भागलपुर का शहीद

Pulwama Attack: पुलवामा हमले में शहीद बिहार के लाल के परिवार का रो-रो कर बुरा हाल, नहीं मिल रही कोई मदद

दो साल पहले जब कांस्टेबल रतन ठाकुर पुलवामा में शहीद हुए थे, तो दर्जनों विधायक, सांसद और मंत्री आए थे, सब लोगो ने बड़े-बड़े वादे किये परिवार के साथ होने की बात कही, लेकिन शहीद के पिता राम निरंजन ठाकुर आज भी गांव में उन वादों के पूरे होने का बेशब्री सर इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब शहादत की दूसरी बरसी नजदीक आई है, तो गांव में बनने वाले गेट का काम तेज किया जा रहा है। इससे पहले कोई पूछने वाला नहीं था।

शहीद के नाम पर नहीं हुआ स्कूल का नाम

जी हाँ, शहादत के टाइम वादा किया गया था की स्कूल का नाम शहीद रतन ठाकुर के नाम पर किया जायेगा पर आज उस स्कूल की हालत बहुत बुरी है. शहीद के नाम पर नाम तो बहुत बड़ी बात उस स्कूल मे मवेशी चरते हैं अध्यापक तक नहीं हैं.

शहीद के पिता बयान

शहीद की पिता ने रोते हुए कहा सारे वादे झूठे थे. हमको अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, लेकिन जब तक में जिंदा हूँ अपने शहीद बेटे की बरसी मनाता रहूँगा सरकारी लोगो की कोई ज़रूरत नहीं है.

DM के ऑफिस में भी नहीं सुनी गई बात

जब शहीद के पिता से पूछा गया 2साल में आपको कितनी सरकारी मदद मिली, यह सवाल पूछते ही पिता का दर्द छलक पड़ता है। अपने पीछे दो मासूम बच्चों को छोड़ कर गए देश के रखवाले के परिवार के लिए अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।

शहीद अर्धसैनिक बल की विधवा के नाम से 5 एकड़ जमीन की बंदोबस्ती का प्रावधान है, लेकिन पिता निरंजन ठाकुर ने बताया कि DM को आवेदन भी दिया, लेकिन कागज कहां धूल फांक रहा है. यह भी कोई बताने वाला नहीं है। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कांस्टेबल रतन ठाकुर दो भाइयों में सबसे बड़े थे। परिवार के भरण-पोषण के अलावा पिता के बुढ़ापे का सहारा थे।

दो अनाथ बच्चे और विधवा पत्नी की उजड़ी हुई दुनिया को अब तक किसी ने संवारने की पहल नहीं की है। ये बस एक शहीद की कहानी नहीं है, भारत माँ पर मर मिटने वाले कितने शहीद हैं, जिनके परिवार वाले झूठे वादे का शिकार हुए हैं।