Apple ने पिछले साल ग्लोबल मार्केट में iPhone 13 सीरीज को लांच कर दिया था. इस सीरीज में भी कंपनी ने कोई चार्जर बॉक्स में मुहैया नहीं करवाया है. इस से पहले iPhone 12 सीरीज में भी फोन बॉक्स में कोई एडाप्टर नहीं मिलता है. तो लगभग दो साल से कंपनी ने अपने फ़ोनों के साथ चार्जर नहीं दिया है और इसके चलते काफी आलोचना भी झेली है. Apple ने डिब्बे से चार्जर को निकालने के पीछे वातावरण और कार्बन उत्सर्जन में कमी का हवाला दिया लेकिन इसके चलते जेब में 50 हज़ार करोड़ रुपए भी तो आए हैं. चलिए रिपोर्ट पर डालते है एक नजर.
2 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन हुआ खत्म
कंपनी ने बॉक्स में चार्ज ना दिए जाने की वजह प्रदूषण कम करना बताया है. कंपनी ने दावा किया था कि iPhone के साथ चार्जर और EarPods ना देने कंपनी ने पिछले एक साल में 2 मिलियन मैट्रिक टन कार्बन एमिशन को कम किया है. जो कि 5 लाख कारों से पैदा होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बराबर है, उस वक्त ऐपल के इस कदम की काफी वाहवाही के साथ थोडा आलोचना भी हुई थी.
50 हज़ार रुपए की हुई बचत
हाल ही समाने आई एक रिपोर्ट के अनुसार Apple ने अपने आईफोन से बॉक्स से चार्जर और इयरफ़ोनों ना देने के इस कदम से लगभग 6.5 बिलियन पाउंड्स बचाए है. हो सकता है कंपनी अपने अपकमिंग आईफोन्स से चार्जर सिर्फ इसी वजह से हटाया हो ताकि 5G मॉडेम के इस्तेमाल करने पर भी डिवाइस की कीमत कम रखी जा सके.
एक्स्ट्रा स्पेस का हुआ फायदा
साथ ही फोन के लिए चार्जर और इयरफोन को अलग से खरीदने पर भी कंपनी को एक्स्ट्रा इनकम होती है, जो 225 मिलियन यूरो के बराबर है. इसके अलावा इस कदम से चलते कंपनी की शिपिंग कास्ट भी कम हुई है. क्योकि अब बॉक्स का साइज़ छोटा होने से कंपनी 70 % यूनिट्स को उतने ही स्पेस के साथ शिप कर सकती है.
हम बता दें iPhone यूजर्स को पहले भी बॉक्स में सिर्फ 5W चार्जिंग सपोर्ट दिया जाता है, जिस वजह से फोन के साथ मिलने वाले फ़ास्ट चार्जिंग सपोर्ट को यूजर्स इस्तेमाल नहीं कर पाते थे और उनको अलग से चार्जर खरीदना पड़ता था, जिससे 5W चार्जिंग एडाप्टर यूजलेस कहा जा सकता है.
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