कोरोना की मार से परेशान आम आदमी की कमर महंगाई ने तोड़ दी है। पिछले एक साल में सरसों तेल से लेकर चाव-दाल-आटे और यहां तक कि चाय की महंगाई ने किचन का बजट तबाह करके रख दिया है। नासिक में सरसों तेल 200 रुपये के पार बिक रहा है तो मुरादाबाद में पाम ऑयल 180 के ऊपर। मैसूर में वनस्पति 212 रुपये तो सोया तेल गंगटोक में 194 रुपये पर पहुंच गया है। वहीं बीकानेर में सूरजमुखी का तेल 227 रुपये किलो पहुंच गया है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि मोदी सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़े बोल रहे हैं। ये आंकड़े 25 जून 2021 के हैं और ये देश में खाद्य तेलों की ये अधिकतम कीमते हैं।
15 फीसदी कम हुई दाल की कीमतें
वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 25 जून 2020 के मुकाबले 25 जून 2021 को खाद्य तेलों की कीमतों में 53 फीसद, दालों में 15 फीसद और खुली चाय में 25 फीसद तक उछाल आ चुका है। वहीं चावल के रेट में 4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अगर कोई चीज सस्ती हुई है तो गेहूं, चीनी, गुड़, आलू और टमाटर।
ये हैं सरकारी दाल की कीमतें
अगर दालों की बात करें तो मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अरहर यानी तूअर की दाल औसतन 93 रुपये किलो से करीब 107 रुपये , उड़द दाल 101 से 109 रुपये किलो हो गई है। वहीं मूंग की दाल में गिरावट आई है, जबकि मसूर और चना दाल 15 फीसद तक महंगी हुई है।