पटना- बॉलीवुड अभिनेता और पटना निवासी सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड मर्डर मिस्ट्री में रोजाना कुछ न कुछ खुलासे हो रहे हैं। इस बीच मुंबई में शिवसेना नेता संजय राउत की टिप्पणी पर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने एक बार फिर से शायरी से जवाब दिया है। बता दें कि डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने इससे पहले भी ट्वीट के जरिए ही शिवसेना नेता संजय राउत को जवाब दिया था।
डीजीपी ने लिखा कि जीवन भर निष्पक्ष रहकर निष्ठापूर्वक आम जनता की सेवा की है। मुझ पर बहुत तथ्यहीन अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसका जवाब देना उचित नहीं। उन्होंने शायरी के जरिये भी राउत पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि हिफाजत हर किसी की मालिक बहुत खूबी से करता है! हवा भी चलती रहती है, दीया भी जलता रहता है! मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को न्याय चाहिए।
मुख्यमंत्री और बिहार पुलिस पर किये जा रहे हमले
वहीं, बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने आज कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार पुलिस पर व्यक्तिगत हमला किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस और मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत तौर पर हमला किया जा रहा है। बिहार पुलिस पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
आईपीएस अधिकारी को क्वारंटाइन किया जा रहा है। इन सब से बिहार पुलिस का मनोबल कम नहीं होगा। मैं नहीं रुकूंगा। हम सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में सिर्फ न्याय चाहते हैं।
सुशांत की मौत के मामले में दबाव की तरकीब का हो रहा इस्तेमाल
संजय राउत ने दावा किया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में दबाव की तरकीब का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, महाराष्ट्र के खिलाफ साजिश के तहत इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है।
उन्होंने शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक स्तंभ रोकठोक में कहा कि अभिनेता की दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्या को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखना गलत है। सुशांत का शव 14 जून को बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट में फंदे से लटका हुआ मिला था।
राउत ने कहा, यदि कोई व्यक्ति राजनीतिकरण और दबाव की तरकीब का इस्तेमाल करना चाहता है, तो हमारे देश में कुछ भी हो सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि सुशांत प्रकरण की पटकथा पहले से लिखी गई थी।
परदे के पीछे जो कुछ हुआ है, वह महाराष्ट्र के खिलाफ साजिश है। उन्होंने कहा कि जब एक घटना को राजनीतिक रंग देने का निर्णय कर लिया गया, तो कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह किस हद तक जाएगा और राजपूत की दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्या मामले में यही हो रहा है।