विकास दुबे को कैसे मिल रही थी बड़े अपराधों पर भी जमानत, मामले की होगी जांच

नई दिल्ली: कानपुर कांड के मुख्य अपराधी की मौत के बाद अब हर पहलू की सघनता से जांच का रुख हो गया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के ही एक पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच कमेेटी गठित की गई है। जिसे एक स्वतंत्र जांच कमेटी के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही ये भी माना जा रहा है कि विकास दुबे के इस मामले में अब पुलिस की भागीदारी और एनकाउंटर के लूपहोल्स से भी पर्दा हट सकता है। इसी बीच जांच कमेटी के एक सदस्य ने एक बड़ा बयान दिया है।

कैसे मिल रही थी जमानत?

विकास दुबे को कैसे मिल रही थी बड़े अपराधों पर भी जमानत, मामले की होगी जांच

दरअसल विकास दुबे के इस केस की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान ने कहा है कि वो इस पूरे मामले की जांच के लिए पूरी तरह तैयार है। इसी बीच उन्होंने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि वो इस बात पर भी विशेष गौर करेंगे कि कैसे इतने संगीन आरोपों के बावजूद विकास दुबे पैरोल या जमानत पर रहा और अपना जुर्म को काला कारोबार चलाता रहा क्योंकि ये बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की जांच गठित ये टीम कोर्ट के आदेश पर करेगी।

यूपी सरकार ने दिए सुझाव

आपको बता दें कि विकास दुबे के इस पूरे प्रकरण की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व जज बीएस चौहान, हाईकोर्ट के पूर्व जज औऱ पूर्व यूपी डीजीपी के एल गुप्ता के सुझाव दिया था, जिसके बाद के एल गुप्ता के एनकाउंटर को लेकर एक टीवी चैनल के बयान का हवाला दिया गया और के एल गुप्ता का नाम हटाने की याचिका दायर की गई, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के सुझावों को मानते हुए उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।

विकास दुबे को कैसे मिल रही थी बड़े अपराधों पर भी जमानत, मामले की होगी जांच

कोर्ट के सख्त निर्देश

इसी बीच सरकार के रुख को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच के कुछ सख्त निर्देश भी दिए हैं। आपको बता दें कि कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर-अंदर जांच कमेटी गठित करने की बात कही है। साथ ही सरकार की ओर पेश हुए वकील यानी सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा है कि इस मामले के हर एक पहलू की जांच की जाए और उस मामले में आने वाले सभी छोटे-बड़े अधिकारियों की निष्क्रियता को भी जांच के दायरे में लाया जाए। वहीं इस कमेटी मे जरूरतों के अनुसार सचिव स्तर के सभी अधिकारी केन्द्र सरकार की ओर से ही दिए जाएं, राज्य सरकार का इसमें किसी भी प्रकार का दखल न हो।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *