Cricket

जब तक कोई खिलाड़ी क्रिकेट (Cricket) खेल रहा होता है तब तक उसके जीवन में उसके पास सब कुछ मौजूद होता है. फैंस का प्यार, बीसीसीआई द्वारा मिल रही अच्छी खासी सैलरी लेकिन इसी बीच खिलाड़ी अपनी भविष्य के लिए भी रणनीति बना लेते हैं कि जब वह संन्यास लेंगे तो उनका गुजारा कैसे होगा.

आज हम तीन ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो संन्यास लेने के बाद पाई- पाई के मोहताज को हो गए. अगर इन्हें कोई 15000 के दिहाडी़ पर काम करने को कहे तो उनके लिए यह भी एक बहुत बड़ी बात होगी.

Cricket: विनोद कांबली

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विनोद कांबली एक ऐसे खिलाड़ी माने जाते थे जिनका भविष्य क्रिकेट (Cricket) में काफी उज्जवल था लेकिन उन्होंने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे विनोद कांबली को शराब की लत ने इतनी बुरी तरह जकड़ लिया कि वह कब खेल से दूर हो गए उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ चुका है. साथ ही साथ उन्हें शराब की बुरी लत के कारण 14 बार पुनर्वास केंद्र में भी डाला गया.

मौजूदा समय में बीसीसीआई उन्हें जो पेंशन देती है उसी से उनका घर चलता है. कई बार तो वह इस कदर आर्थिक तंगी से परेशान हो गए थे कि उनके पास खुद का इलाज करने के लिए भी पैसे नहीं थे जिसके बाद टीम इंडिया के कई साथी खिलाड़ियों ने उनकी मदद की. इसके बावजूद भी जैसे तैसे वह अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

सिद्धार्थ कौल

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कोहली की कप्तानी में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने वाले तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल ने हाल ही में क्रिकेट के सभी प्रारूप से संन्यास का फैसला लिया. इस खिलाड़ी ने पंजाब के लिए 88 फर्स्ट क्लास मैच और 297 विकेट अपने नाम की है जहां टीम इंडिया से संन्यास लेने के बाद दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज की स्थिति काफी दयनीय है जो इस वक्त पाई पाई के मोहताज हो चुके हैं.

कभी भारत को बड़े-बड़े मुकाबले में चैंपियन बनाने वाले सिद्धार्थ आज गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर है. इस खिलाड़ी का कई बार भी यह कहना है कि उनका कोई गॉडफादर नहीं है ना ही कोई शुभचिंतक, इसलिए उनका क्रिकेट (Cricket) करियर ज्यादा लंबा नहीं चल पाया.

जनार्दन नेवले

जनार्दन नेवले भारत के पहले टेस्ट विकेटकीपर गुलाम भारत के खिलाड़ी थे. 1934 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले इस बल्लेबाज ने भारतीय टेस्ट इतिहास की पहली गेंद खेली थी. उस दौर में खिलाड़ियों को पैसा नहीं मिलता था. जीवन-यापन करने के लिए बाद में वह उन्होंने एक चीनी मिल में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम किया,

क्योंकि सिर्फ 31 साल की उम्र में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था जिन्होंने अपने करियर में सिर्फ दो ही मैच खेले और 42 रन बनाएं. यह आज के दौर से काफी अलग समय था जब खिलाड़ियों पर आज करोड़ों रुपए की बारिश होती है लेकिन जनार्दन के जीवन में तो ऐसा समय भी आया कि उन्हें भीख मांग कर अपना गुजारा करना पड़ा. हालांकि इसकी आधिकारिक रूप से कभी पुष्टि नहीं हुई.

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