Cricketer : पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक नाम अचानक फिर से सुर्खियों में है-एक ऐसा क्रिकेटर जिसने कभी तिरंगे के लिए पसीना बहाया था, लेकिन बाद में सरहद पार जाकर उसी मुल्क के लिए खेलने लगा, जिसे भारत का दुश्मन माना जाता है।
सोचिए, आज कोई स्टार खिलाड़ी (Cricketer) पाकिस्तान के लिए खेलने लगे तो क्या होगा? ठीक वैसा ही किया था इस खिलाड़ी ने। पहले भारत की जर्सी पहनी, फिर पाकिस्तान की टोपी और फिर अंजाम हुआ-एक दर्दनाक मौत, गुमनामी में, कैंसर से।
भारत में कमाया नाम लेकिन पाकिस्तान में खेला
इस गद्दार क्रिकेटर (Cricketer) का नाम था गुल मोहम्मद, जिसने 1946 में भारत के लिए डेब्यू किया था और आठ टेस्ट मैच खेले थे। बेहतरीन ऑलराउंडर गुल अपने समय का सबसे तेज फील्डरों में से एक था।
इस गद्दार क्रिकेटर (Cricketer) ने 1955 में पाकिस्तान की नागरिकता ले ली और 1956 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकमात्र टेस्ट मैच खेला। इस मैच में उन्होंने विजयी रन बनाया, लेकिन इसके बाद दोबारा उन्हें टीम में मौका नहीं मिला।
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भारत ने इस Traitor Cricketer को दी पहचान
भारत के लिए खेलते हुए गद्दार क्रिकेटर (Cricketer) गुल ने रणजी ट्रॉफी 1946-47 के फाइनल में बड़ौदा की ओर से 319 रनों की पारी खेली थी। विजय हजारे के साथ उनकी 577 रनों की साझेदारी उस समय फर्स्ट क्लास क्रिकेट की सबसे बड़ी साझेदारी थी। जिसे 2006 में संगकारा-जयवर्धने ने तोड़ा।
पाकिस्तान में सरकारी नौकरी, लेकिन दर्दनाक अंत
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद गुल मोहम्मद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से जुड़े और गद्दाफी स्टेडियम के निदेशक बने। बाद में पंजाब स्पोर्ट्स बोर्ड में कोच भी रहे। लेकिन उनकी ज़िंदगी का अंत बेहद दुखद रहा लिवर कैंसर से छह साल तक जूझने के बाद 1992 में उनका निधन हो गया।
गुल मोहम्मद पाकिस्तान के लिए खेलने वाले एकमात्र क्रिकेटर थे जिन्होंने डॉन ब्रैडमैन के खिलाफ भी मुकाबला खेला था। लेकिन इतिहास उन्हें एक गद्दार क्रिकेटर (Cricketer) के तौर पर याद रखता है, जिसने देश बदलकर अपनी पहचान खो दी।
बेशक, देश बदलना हर किसी का निजी फैसला हो सकता है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय खेल प्रतिनिधित्व की हो, तो यह सिर्फ एक करियर नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रति एक जिम्मेदारी होती है। गुल मोहम्मद ने इस जिम्मेदारी को छोड़कर जो रास्ता चुना, उसने सवालिया निशान लगा दिया।
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