नई दिल्ली. हर्षद मेहता कोई नया नाम नहीं है. शेयर बाजार के बारे में जानकारी रखने वालो के लिए ब्रोकर हर्षद मेहता वहीं शख्स हैं साल 1992 में देश के वित्तिय बाजार में हलचल मचा दी थी. साल 1991 में देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई ही थी कि हर्षद मेहता ने पूरी गेम ही पलट कर रख दी थी. वर्ष 1990-92 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बदलाव का समय था. इस बीच वित्तिय बाजार में इतना बड़ा घोटाला हुआ कि शेयर की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में ऐतिहासिक परिवर्तन देखने को मिले. 4 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले को हर्षद मेहता ने अंजाम दिया था. साल 1991 में देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई ही थी कि हर्षद मेहता ने पूरी गेम ही पलट कर रख दी थी.
कौन थे हर्षद मेहता?
गुजरात के राजकोट में पलेन मोटी में 29 जुलाई 1954 को जन्मे हर्षद मेहता का बचपन मुंबई के कांदिवली में बीता था. होली क्रॉस बेरोन सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने लाजपत राय कॉलेज से बी.कॉम में स्नातक की डिग्री ली. शुरुआत के आठ साल हर्षद ने छोटी-छोटी नौकरी कर गुजारा किया. उन्होंने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बतौर सेल्स पर्सन अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने ब्रोक्रेज फर्म ‘हरिजीवनदास नेमीदास सिक्योरिटज’ में नौकरी की.
वहीं, 1984 में हर्षद ने अपनी खुद की कंपनी ‘ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट’ खड़ी की. साथ ही बतौर ब्रोकर बीएसई में सदस्यता भी ली. शेयर बाजार के गुण हर्षद ने प्रसन्न परिजीवनदास की छत्रछाया में सीखे थे. मेहता को शेयर बाजार का ‘बिग बुल’ कहा जाता था क्योंकि उन्होंने ‘बुल रन’ की शुरुआत की थी.
कैसे दिया घोटाले को अंजाम
हर्षद मेहता बैंकिंग नियमों का फायदा उठाकर बैंको को बिना बताए उनके करोड़ों रुपये शेयर बाजार में लगाया करते थे. वह दो बैंकों के बीच बिचौलिये का काम करते थे और 15 दिन के लिए लोन लेकर बैंकों से पैसा लेते थे. लोन के पैसों से बड़ा मुनाफा कमा वह उसे बैंक को लौटा देते थे. हर्षद एक बैंक से फर्जी बीआर बनावकर दूसरे बैंक से आराम से पैसा निकालते थे.
अप्रैल 1992 में हर्षद का खुलासा हुआ और बाजार में गिरावट आने लगी. वहीं, मेहता पर 72 क्रिमिनल चार्ज लगे और सिविल केस दर्ज हुए. बता दें कि वर्ष 1990 में शेयर बाजार में बड़ा उछाल आया जिसका कारण ब्रोकर हर्षद मेहता थे. इसी कारण उन्हें शेयर बाजर में ‘बिग बुल’ का नाम दिया गया था.
इतनी मिली सजा और ऐसे हुई मौत
हालांकि हर्षद पर कई क्रिमिनल केस दर्ज थे, लेकिन उन्हें 1992 के स्कैम का एकमात्र दोषी पाया गया था. स्कैम में दोषी करार होने पर हाई कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया.
हर्षद मुंबई के ठाणे जेल में सजा काट ही रहे थे, कि उनकी तबीयत खराब हो गई. 31 दिसंबर 2001 को देर रात उन्हें सीने में दर्द उठा और ठाणे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
परिवार से की गई वसूली
बता दें कि घोटाले के 25 साल बाद भी इसकी वसूली हर्षद के परिवार से की गई. अभिरक्षक ने हर्षद की संपत्तियों को बेचकर 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बैंकों और इनकम टैक्स के नाम जारी कराई. वहीं, हर्षद के परिजनों ने साल 2017 में 614 करोड़ रुपये की रकम बैंक को अदा की थी.