Ice Cream Ban: एक ऐसा देश जो हमेशा से अपने सख्त और अजीबो-गरीब फैसलों के लिए चर्चा में रहता है। हाल ही में वहां की सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। आपको बता दें, इस देश ने आइसक्रीम पर बैन (Ice Cream Ban) लगा दिया है। तो आइए जानते है आखिर क्या है पूरा मामला और सरकार ने किस वजह से ये बड़ा फैसला लिया है।
इस देश में हुई Ice Cream Ban

दरअसल हम जिस देश की बात कर रहे है, वो उत्तर कोरिया है। उत्तर कोरिया हमेशा से अपने सख्त और अजीबो-गरीब फैसलों के लिए चर्चा में रहता है। हाल ही में वहां की सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। खबरों के मुताबिक, उत्तर कोरिया में अब “आइसक्रीम” शब्द का इस्तेमाल पूरी तरह बैन (Ice Cream Ban) कर दिया गया है। इसका मतलब यह नहीं कि वहां आइसक्रीम खाने पर रोक लग गई है, बल्कि अंग्रेज़ी शब्द ice cream का प्रयोग अब वहां की आधिकारिक भाषा में नहीं किया जा सकेगा। यही नहीं, “hamburger”, “karaoke” जैसे कई अन्य विदेशी शब्दों को भी हटा दिया गया है।
Kin Jong un Orders 🚨
North Korea bans the use of the words hamburgers, ice cream, and karaoke.
It's to avoid Western & South Korean influence
Old vs New name
Hamburger – Dajin-gogi gyeopppangIce cream – Eskimo/frozen confection
Karaoke – On-screen accompaniment machine
🇰🇵 pic.twitter.com/MNZf18KTrd— Mayank (@mayankcdp) September 15, 2025
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सरकार ने इस वजह से लिया फैसला
किम जोंग उन की सरकार का कहना है कि विदेशी शब्दों के इस्तेमाल से उत्तर कोरियाई संस्कृति और भाषा पर बुरा असर पड़ता है। सरकार चाहती है कि लोग केवल कोरियाई शब्दों का ही प्रयोग करें और देश की पारंपरिक पहचान को बचाए रखें। इस फैसले के तहत पर्यटक स्थलों, रेस्टोरेंट्स और यहां तक कि गाइड्स को भी स्थानीय शब्दों का प्रयोग करने का आदेश दिया गया है। उदाहरण के लिए, “ice cream” (Ice Cream Ban) की जगह अब “eseukimo” या “eoreumboseungi” जैसे स्वीकृत शब्दों का उपयोग किया जाएगा।
सांस्कृतिक अलगाव हो सकता है पैदा
जानकारों का मानना है कि यह कदम केवल भाषा शुद्धिकरण तक सीमित नहीं है बल्कि उत्तर कोरिया की राजनीतिक सोच को भी दर्शाता है। वहां की सरकार किसी भी विदेशी प्रभाव को कम करना चाहती है ताकि जनता पूरी तरह देश की विचारधारा के अनुसार ढल सके। इससे एक तरह का सांस्कृतिक अलगाव भी पैदा हो रहा है। आलोचक इसे जनता पर एक और पाबंदी मानते हैं, वहीं समर्थक कहते हैं कि इससे देश की मौलिक पहचान बनी रहेगी।
उत्तर कोरिया के इस फैसले ने आइसक्रीम प्रेमियों को तो नहीं रोका है, लेकिन भाषा की दुनिया में यह एक बड़ा और अनोखा कदम जरूर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वहां और कौन-कौन से विदेशी शब्दों पर पाबंदी लगाई जाती है।
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