Mahendra Singh Dhoni Gave A Big Statement Regarding Captaincy
Mahendra Singh Dhoni gave a big statement regarding captaincy

MS Dhoni: टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने 3 आईसीसी ख़िताब जीते हैं। साल 2007 में भारत ने आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप का पहला संस्करण जीता। इसके बाद साल 2011 में टीम इंडिया ने अपना दूसरा वर्ल्ड कप जीता और फिर 2013 में नीली जर्सी वाली टीम में माही की अगुवाई में चैंपियन ट्रॉफी अपने नाम की।

इसके अलावा धोनी को विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को निखारने का श्रेय भी दिया जाता है। मगर पिछले कुछ वर्षों में भारत आईसीसी ट्रॉफी जीतने में असफल रहा है। इसी बीच धोनी ने अपने हालिया बयान में कुछ ऐसी बाते कही हैं, जो वर्तमान कप्तान रोहित शर्मा के लिए गुरु मंत्र साबित हो सकती हैं।

MS Dhoni ने दिया कप्तान का गुरुमंत्र

Ms Dhoni
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42 साल के महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने हाल ही में सिंगल आईडी कंपनी के एक कार्यक्रम में कहा, “खिलाड़ियों का सम्मान आपकी पोजीशन से नहीं, बल्कि एक्शन से हासिल किया जाता है। सम्मान पाने की कोशिश न करें, बल्कि इसे अर्जित करें, क्योंकि यह बहुत स्वाभाविक है। एक बार आप में वह निष्ठा आ गई तो टीम का प्रदर्शन भी वैसा ही होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे हमेशा लगता था कि लीडर के तौर पर सम्मान अर्जित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कुर्सी या पद के साथ नहीं आता है। यह आपके एक्शन के साथ आता है। कभी-कभी, भले ही टीम आप पर विश्वास करती हो, लेकिन हक़ीक़त में पहले व्यक्ति हैं, जो खुद पर भरोसा नहीं करेंगे।”

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MS Dhoni ने बताई कप्तान की खासियत

Ms Dhoni
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माही ने अपने बयान में एक कप्तान की खासियतें भी बताई। उन्होंने कहा, “एक कप्तान को सबसे पहले ड्रेसिंग रूम में मौजूद सभी खिलाड़ियों की ताकत और कमजोरी को समझना होता है। कुछ खिलाड़ी दबाव में खेलना पसंद करते हैं और कुछ नहीं। जब आप खिलाड़ियों को समझ लेते हैं तो आप उन्हें बिना बाए उसकी कमजोरी पर काम करना शुरू कर देंगे। यह चीज एक खिलाड़ी को कॉन्फिडेंट रखता है और खुद पर संदेह करने से रोकता है।”

आपको बता दें कि धोनी (MS Dhoni) बतौर कप्तान सबसे अधिक इंटरनेशनल मैच खेलने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने भारत का टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों प्रारूप में मिलाकर कुल 332 मैचों में नेतृत्व किया है। इनमे से 178 मैचों में भारत को जीत मिली, जबकि 120 मुकाबला में हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 6 मैच टाई और 12 मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुए।

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