सरकार ने कहा है कि कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों (Edible Oil) पर इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) कम करने का असर होने लगा है. इससे घरेलू बाजार में सरसों के तेल को छोड़कर बाकी खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है. सरसों तेल के दाम अब पहले से भी सस्ते हो चुके हैं.
आयात शुल्क में कमी की वजह से घटे दाम
सरकार ने बयान कर कहा कि पिछले महीने 11 सितंबर को पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क में कमी कर दी गई थी. जबकि कच्चे पाम तेल पर मूल इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया. वहीं कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर भी आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया.
खाद्य तेलों के दाम में आई गिरावट
सरकार ने कहा कि उसके इन कदमों का बाजार पर अच्छा असर पड़ा है और महंगाई में कमी आई है. इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) में कमी करने से खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. सरकार ने कहा कि सरसों के तेल को छोड़कर बाकी सब तेल बाहर से आयात किए जाते हैं. इसलिए आयात शुल्क (Import Duty) कम करने का उनकी कीमतों पर सीधा असर पड़ा है. अब देश में उत्पादित होने वाले खाद्य तेलों को भी विभिन्न उपायों से कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
सस्ते हुए खाद्य पदार्थ
सरकार ने कहा कि किसानों की मांग पर कई फसलों के एमएसपी में वृद्धि की गई है. इसके बावजूद बाजार में चावल और गेहूं की कीमतों में कमी आई है. उनके साथ ही चना, अरहर, उड़द और मूंग की खुदरा कीमतों में भी गिरावट आई है. पिछले एक साल में आलू की औसत खुदरा कीमतों में 44.77 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं प्याज और टमाटर की कीमतों में क्रमश: 17.09 प्रतिशत और 22.83 प्रतिशत की गिरावट आई है.