25, दिसंबर,शुक्रवार को हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से एक बार कृषि कानूनों के विवाद पर बात की है. किसान सम्मान निधि योजना की एक और किस्त का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने 9 करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ की राशि जमा की. इसके साथ ही कृषि कानून को लेकर चल रहे आंदोलन के मामले पर विपक्ष को भी लताड़ा. बंगाल में लेफ्ट और ममता सरकार के साथ ही पीएम मोदी के टारगेट पर कांग्रेस, शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेता रहे. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने दस बड़े मुद्दों का जिक्र किया, चलिए,एक नज़र उन मुद्दों पर,
1. राजनीतिक दलों का सुर्खियां बटोरने के लिए प्रयास
जिन राजनीतिक दलों का देश की जनता बहिष्कार कर चुकी है, वो सभी आज देश के किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग ऐसा भी चाहते हैं कि किसानों और सरकार की चर्चा ही न होने पाएं. यह सारे राजनीतिक दल सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह के प्रयास कर रहे हैं.
2.आंदोलन चलाने वाले दलों का बहिष्कार
कुछ समय पहले ही में राजस्थान, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में पंचायत चुनाव हुए हैं. इनमें ज्यादातर किसानों ने ही मतदान किया और वहां आंदोलन चलाने वाले दलों का बहिष्कार किया जा चुका है.
3.स्वामीनाथन रिपोर्ट को दबाकर रखा
आज जितने भी लोग आंदोलन के हिस्सेदार हैं वही उस सरकार के समर्थन में थे, जिसने स्वामीनाथन रिपोर्ट को दबाकर रखा था. हमने गांव के किसान के काम को आसान करने का प्रयत्न किया है. जो आज किसानों के लिए तड़प रहे हैं, उन्होंने अपने शासन काल में रहते हुए क्या किया यह हर कोई जानता है.
4.MSP की गारंटी
जब आंदोलन शुरु हुआ तो यह मांग रही थी कि MSP की गारंटी होनी चाहिए. अब ये आंदोलन विपक्ष के हत्थे चढ़ गया है, ये लोग कुछ लोगों के पोस्टर लगाकर उन्हें रिहाईश की मांगों को पूरा करने के बारे में कह रहे हैं, अब विपक्ष की मांग हैं टोल को खाली कर दो. अब किसान आंदोलन की आड में कई मुद्दों को उठाया जा रहा है.
5.किसानों को तीन दिन के अंदर फसल का पैसा
पहले कृषि कानून का पालन नहीं करने पर किसानों को दंडित किया जाता था, लेकिन अब हमारी सरकार ने इस किसान विरोधी प्रथा को खत्म कर दिया है. अब खरीदने वालों को किसानों को रसीद भी देनी होगी और तीन दिन के अंदर फसल का पैसा भी देना होगा.
6.किसान को अपनी मर्जी से समझौते को खत्म करने का अधिकार
अगर कोई किसान के साथ समझौता करेगा, तो वो चाहेगा कि फसल अच्छी हो. ऐसे में समझौता करने वाला शख्स बाजार के ट्रेंड के अनुसार से ही किसानों को आधुनिक चीजे उपलब्ध करवाएगा. अगर से किसान की फसल अच्छी नहीं होती या बर्बाद हो जाती है, तो भी किसान को फसल का पूरा पैसा मिलेगा. समझौता करने वाला इसे तोड़ नहीं सकता, लेकिन किसान अपनी मर्जी से समझौते को खत्म करना चाहे तो उसे यह अधिकार है.
7.बंगाल के 70 लाख किसानों ही इस फायदे से वंचित
देश के सभी राज्यों की सरकारें इस योजना के अंतर्गत जुड़ी हुई हैं लेकिन सिर्फ बंगाल के 70 लाख किसानों ही इस फायदे से वंचित है. बंगाल की सरकार राजनीतिक कारणों को हथियार बनाकर किसानों को फायदा नहीं पहुंचाना चाहती है, वहां के किसानों ने भारत सरकार से इस बात की अपील की है.
8.बंगाल की विचारधारा के लोग पंजाब में
जिन्होंने ने बंगाल में 30 साल शासन किया आज वो इस मुद्दे पर कोई भी आंदोलन नहीं करते हैं. बंगाल के उसी विचारधारा के लोग आज पंजाब में पहुंच गए हैं. बंगाल की सरकार अपने राज्यों में किसानों के लिए फायदेमंद कोशिश को रोक रही है, लेकिन पंजाब पहुंचकर अपने राजनीतिक दुश्मनों के साथ मिलकर लड़ती हैं.
9.MSP का खात्मा नहीं होगा
MSP का खात्मा नहीं हो सकता, मंडियां भी ऐसे ही चालू रहेंगी. सरकार ने किसानों को इस बात का दिलासा दिया है, अगर फिर भी कोई शंक है तो सरकार चर्चा के लिए भी तैयार है.
10.सरकार का मुख्य उद्देश्य
सरकार का मुख्य उद्देश्य खेती की लागत को कम करने पर है. कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को फायदा पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे है, मुफ्त बिजली-गैस-पानी सरकार के द्वारा ही दिया जा रहा है.