विकास दुबे: बिकरू कांड में बड़ा खुलासा, पुलिस ने जबरन कराया था समझौता, Co ने वारदात पर था डाला पर्दा

बिकरूं कांड में अभी भी पुलिस महकमें और बदमाशों की मिलीभगत सामने आ रही है। ऐसे में पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस की साख दांव पर लगी है। उत्तर प्रदेश में कानून- व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर सवाल दागे जा रहे हैं।

लगातार पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। जब जांच सीओ के पास पहंची तो उससे पहले मामले को रफादफा करने की कोशिश की गई। पीड़ित ने इस मामले में सीधे आईजी रेंज के अधिकारी मोहित अग्रवाल से शिकायत की। ऐसे में पुलिस टालमटोल रवैये के चलते कई पुलिसकर्मियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। फिलहाल इस मामले में पुन: जांच दिशा- निर्दश जारी कर दिए गए हैं।

वहीं, कल्याणपुरी के रहने वाले विनोद कुमार भीटी गांव में स्थित स्कूल में असिस्टेंट टीचर पद पर हैं। उन्होंने जानकारी साझा करते हुए कहा कि- विकास की भांजी सरिता पांडेय स्कूल में पढ़ाती हैं। दो साल पहले 2018 में अक्टूबर के महीने में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाए गए थे। इसके बाद में टीचर विनोद कुमार इस मामले की शिकायत खंड अधिकारी से की थी। जिसके बाद सरिता का पति अखिलेश पांडेय जो कि एक केस में मर्डर का आरोपी है। सरिता ने पति को इस मामले की जानकारी दीं।

विकास की भांजी सरिता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

विकास दुबे: बिकरू कांड में बड़ा खुलासा, पुलिस ने जबरन कराया था समझौता, Co ने वारदात पर था डाला पर्दा

इसके बाद में विकास दुबे के गुर्गों ने अखिलेश के साथ मिलकर मुझे जान से मारने की धमकी दी और हमारे साथ बदसलूकी की। और गाली-गलौच की। जब इस मामले में पुलिस-प्रशासन से कार्रवाई करने की गुहार लगाई तो आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। जिसके बाद मुख्यमंत्री पोर्टल पर जाकर शिकायत दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं उनके खिलाफ केस दर्ज होने के बाद विकास के गुर्गों और अखिलेश ने दोबारा धमिकयां दीं।

पुलिस ने पीड़ित के समझौता पत्र पर जबरदस्ती कराए हस्ताक्षर

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आखिकार रसूलाबाद की पुलिस ने विकास के गुर्गों के सामने घुटने ठेक दिए। और उन्होंने टीचर विनोद से जबरदस्ती समझौता पत्र पर साइन करा लिए। वहीं, आईजी मोहित अग्रवाल ने जानकारी देते हुएु बताया कि- पीड़ित अध्यापक की ओर से इस मामले में ज्ञापन दिया गया है।

इसके साथ ही कानपुर देहात एसपी को जांच- पड़ताल करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वो मामले की छानबीन करने के बाद रिपोर्ट को जमा करेंगे। जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा तत्कालीन रसूलाबाद इंस्पेक्टर, सीओ समेत अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच होगी।

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