Sheetal Devi: मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने खेल जगत की तमाम हस्तियों को सम्मानित किया। इसमें जम्मू कश्मीर के छोटे से गांव की रहने वाली लड़की को अर्जुन अवॉर्ड (Arjun Award) से सम्मानित किया गया। ये पहली ऐसी भारतीय तीरंदाज हैं, जिन्होंने बिना हाथों के तीरंदाजी की है। वह पैरों से ही तीरंदाजी करती हैं। चीन में हुए एशिया पैरा गेम्स (Asia Pera Games) में 16 साल की ये लड़की दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। उनकी नजरें अब ओलंपिक गोल्ड मेडल पर हैं। आइये जानते है जन्म से ही दिव्यांग इस लड़की के बारे में।
राष्ट्रपति ने दिव्यांग शीतल देवी को अर्जुन अवॉर्ड से किया सम्मानित
पैरों से लक्ष्य पर निशाना साधने वाली पैरा एशियाई खेलों की चैंपियन तीरंदाज शीतल देवी (Sheetal Devi) को राष्ट्रपति भवन में महामहिम द्रौपदी मुर्मु ने अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) दिया। खेल मंत्रालय ने अर्जुन पुरस्कार देने की घोषणा पहले ही कर दी थी, जिसके बाद उन्हें इस अवार्ड से नवाजा गया। शीतल देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) से मिला आशीर्वाद उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा। शीतल देश की पहली महिला तीरंदाज हैं, जिनके हाथ नहीं हैं। इस बार कुल 26 खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। सात्विक-चिराग की जोड़ी को खेल रत्न दिया गया। वहीं, अन्य 24 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। अर्जुन अवॉर्ड पाने वाले खिलाड़ियों में मोहम्मद शमी भी शामिल हैं।
दातों और पैर से अभ्यास करती हैं Sheetal Devi
गोल्डन गर्ल शीतल देवी (Sheetal Devi) जम्मू कश्मीर के जिला किश्तवाड़ की रहने वाली हैं। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता एक किसान हैं और मां घर संभालती हैं। 16 वर्षीय शीतल ने बीते साल चीन के हांगझाऊ में हुए एशियाई पैरा खेलों (Asian Pera Games) में दो स्वर्ण समेत तीन मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वह एक ही संस्करण में दो स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं। जन्म से ही दोनों हाथ न होने पर इस बेटी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा। शीतल ‘फोकोमेलिया’ नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं। इस बीमारी में अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं। हालांकि बाजू न होना शीतल के दिव्यांगता अभिशाप नहीं बन पाया। उन्होंने तीरंदाजी करना शुरु की। शीतल बिना दोनों बाजू के सिर्फ छाती के सहारे दांतों और पैर से तीरंदाजी का अभ्यास करतीं। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा करने वाली बिना हाथों की पहली तींरदाज भी हैं।
श्राइन बोर्ड के स्टेडियम में करती हैं ट्रेनिंग
पैरा खिलाड़ी शीतल देवी (Sheetal Devi) श्राइन बोर्ड के कटरा स्थित स्टेडियम में प्रशिक्षण लेती हैं। शीतल ने मात्र दो साल में कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) पाने वाली शीतल प्रदेश की पहली पैरा तीरंदाज है। इससे पहले जिम्नास्ट की कोच कृपाली सिंह (Krapali Singh)को अर्जुन पुरस्कार मिला है। मूल रूप से गुजरात की रहने वाली कृपाली की जम्मू में शादी हुई है।
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