बुधवार को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनिशप फाइनल (WTC Final) मुकाबले में न्यूजीलैंड के हाथों भारतीय टीम को मिली करारी हार के बाद पूरी टीम इंडिया इस वक्त बहुत तरह के सवालों के घेरे में घिरी हुई है. इसमें अब एक सवाल ऐसा खड़ा हो रहा है कि भारतीय टीम ने अपने दोनों अनुभवी स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को एक साथ प्लेइंग इलेवन में क्यों शामिल किया, जबकि न्यूजीलैंड की प्लेइंग इलेवन को देखा जाए उन्होनें अपनी टीम में एक भी स्पिन गेंदबाज शामिल न करके पांच पेसर गेंदबाज खिलाना सही समझा था.
हालांकि टीम इंडिया ने मैच हारने के बाद अपनी स्पिन जोड़ी को हार की वजह नही बताया है लेकिन पूर्व क्रिकेटरों समेत भारतीय क्रिकेट फैंस का तो यहीं मानना है कि हार की कहीं न कहीं बड़ी वजह गलत प्लेइंग इलेवन को खिलाना है और वैसे भी संजय मांजरेकर जैसे कई पूर्व क्रिकेटरों ने डब्ल्यूटीसी फाइनल (WTC Final) शुरू होने से पहले ही कह दिया था कि इस साउथैम्प्टन की पिच पर भारत को दो स्पिनर के साथ उतरने की जरूरत नहीं है.
इंग्लिश वैदर के सामने फिकी पड़ी भारतीय टीम
भारत और न्यूजीलैंड के बीच डब्ल्यूटीसी फाइनल (WTC Final) 18 से 23 जून के बीच इंग्लैंड के साउथैम्प्टन में खेला गया था. जहां मैच से कई दिन पहले से ही जोरों की बारिश हो रही थी. यह भी तय था कि मैच वाले दिन भी बारिश होती रहेगी, लेकिन इसके बावजूद भारतीय टीम ने मैच से ठीक एक दिन पहले ही अपनी प्लेइंग इलेवन घोषित की कर दी थी. जिसमें 6 बल्लेबाजों के अलावा 2 स्पिन गेंदबाज और 3 पेस गेंदबाज शामिल थे.
गौरतलब है कि भारत की इस टीम में तकरीबन वही सारे नाम थे, जो एक महीने पहले से कयास लगाए जा रहे थे. इस पर भारतीय टीम मैनेजमेंट का कहना था कि यह ऐसी बैलेंस टीम है जो दुनिया के किसी भी हिस्से में बेस्ट है. असल में भारतीय मैनेजमेंट यहीं गलती कर गया था. उसने जो टीम चुनी थी वह कागज पर तो परफेक्ट थी, लेकिन मौसम और पिच के लिहाज से प्लेइंग इलेवन कुछ और होनी चाहिए थी.
बारिश के मौसम का भारत को था पूरा अंदाजा
दरअसल, मौसम विभाग की ओर से WTC Final से पहले ही साफ कर दिया गया था कि मैच में अधिकतर समय बादल छाए रहेंगे. ऐसे में प्लेइंग इलेवन चुनते वक्त दो बातें साफ थीं. पहली, मैच में तेज गेंदबाजों का दबदबा रहेगा. खासकर स्विंग गेंदबाजों का. दूसरी, मैच में बड़ा स्कोर बनने की संभावना ना के बराबर थी. ऐसे में बल्लेबाजी पर भी फोकस करना जरूरी था.
मैच में साफ दिखा कि भारत को चौथे तेज गेंदबाज की कमी बुरी तरह खिल रही थी. तो क्या भारत अश्विन या जडेजा में से किसी एक को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखकर एक और तेज गेंदबाज नहीं चुन सकता था. इसका जवाब आसान नहीं है. दरअसल, भारतीय टीम अगर जडेजा या अश्विन को प्लेइंग इलेवन से बाहर करती तो उनके विकल्प के तौर पर उमेश यादव या मोहम्मद सिराज में से ही किसी एक को शामिल किया जा सकता था.
क्या यह थी WTC Final में खिलाने की वजह?
दरअसल, अश्विन पिछले कुछ समय से बेहतरीन फॉर्म में हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छी बल्लेबाजी भी की थी. दूसरी ओर, रवींद्र जडेजा इस समय दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक हैं और हर फॉर्मेट में फिट हैं. वे गेंदबाजी में भले ही ज्यादा असरदार नहीं हैं, लेकिन इसकी भरपाई अपनी बल्लेबाजी और फील्डिंग से करते हैं.
ऐसे में टीम इंडिया इन दोनों क्रिकेटरों में से किसी एक को चुनने में ही उलझ गई. लेकिन क्रिकेट जानने वालों के लिए यह समझना मुश्किल नहीं कि जिस माहौल और पिच में डब्ल्यूटीसी फाइनल (WTC Final) खेला गया, उसमें दो स्पिनरों के साथ उतरना भारतीय टीम की बड़ी गलती थी.