कांग्रेस पार्टी और राजस्थान की सरकार ने दरकिनार किए गए सचिन पायलट की वापसी को लेकर कयास लगाए जा रहे है, क्योंकि उनकी राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात को सुलह के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान की सियासत में रसूक होने के साथ ही सचिन पायलट का देश की राजनीति में अच्छी पकड़ है। आइए जानते है 2022 यूपी विधानसभा और 2024 लोकसभा के लिए सचिन पायलट क्या भूमिका निभाएंगे?
राजस्थान में सियासी उठाउपक के बाद भले ही सीएम अशोक गहलोत पायलट की वापस न चाहते हों, लेकिन सचिन पायलट की जरूरत राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाएंगे। आने वाले यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीतने के लिए पायलट चाहिए और साथ ही अगले लोकसभा चुनाव में भी सचिन पायलट की जरूरत पड़ेगी।
यूपी 2022 और 2024 चुनाव में सचिन और प्रियंका मिलकर क्या भूमिका निभाएंगे?
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी यूपी की महासचिव बनाया था। जिसके बाद से वो यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गई थी। इतना ही नहीं, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनको लेकर विश्वाश जताया था। हालांकि, उस वक्त प्रियंका गांधी तरूप का इक्के के रूप में देखा जा रहा था। अब वह 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा की सियासी जमीन तैयार कर रही है।
पिछले साल सीएए कानून और कानून- व्यवस्था को लेकर योगी सरकार को चौराफा घेरती नज़र आ रही है। ये अलग बात है कि उनको राजनीति में लाने की कांग्रेस कार्यकर्ताओं में लंबे समय से बात चल रही थी।
आपकों बता दें कि- यूपी की 55 विधानसभा सीटों और 15 लोकसभा सीटों पर गुर्जर मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे। ऐसे में सचिन पायलट जैसे राजनीतिक चेहरे की कांग्रेस को जरूरत पड़ेगी।
क्या सचिन पायलट की वापस को लेकर ये है वो बड़ी वजह!
ऐसे समझिए 2022 और 2024 में सचिन पायलट की भूमिका को। मौजूदा दौर में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ना का मतलब होगा कि 2022 और 2024 के चुनाव में कांग्रेस का गुर्जर- बहुल सीटों पर सीधा नुकसान उठाना पड़ेगा। सिर्फ यूपी ही नहीं, मध्य प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर भी गुर्जर वोट बैंक निर्णायक भूमिका है।
हरियाणा,जम्म और कश्मीर, दिल्ली समेत उत्तर भारत में गुर्जर वोटर असरदार भूमिका में हैं। राजस्थान में पूर्वा और दक्षिणी राजस्थान की 30 सीटों पर गुर्जर मतदाता मौजूद हैं। 2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होने के पीछे 7 फीसदी गुर्जर वोट बैंक का कांग्रेस के पक्ष में आकर वोटर करना रहा।
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की राजस्थान ही नहीं, देशभर में गुर्जर नेताओं पर अच्छी खासी पैठ है। ये बात सामने आ रही है कि जब प्रियंका के सामने कांग्रेस के एक रणनीतिकार ने जब ये आंकड़े रखे तो प्रियंका गांधी ने पायलट की वापसी की दिशा में एक हफ्ते के भीतर रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था।
सचिन पायलट के ससुर फारुख अब्दुल्ला ने बनाई वापसी रणनीती
सचिन पायलट की घर-वापसी के पीछे दूसरी बड़ी वजह हैं फारुक अब्दुल्ला का परिवार। फारुक अब्दुल्ला परिवार के गांधी परिवार और कांग्रेस नेताओं से अच्छे रिश्ते कायम हैं। कश्मीर की सियासत में भी कांग्रेस अब्दुल्ला परिवार का साथ देती आई। फारुख और उमर अब्दुल्ला ने गुलाब नबी आजाद तथा अहमद पटेल के जरिए सचिन पायलट की वापसी की कोशिश शुरू की, जो देर से ही सही, लेकिन कामयाब हुई।
ये भी एक बड़ी वजह है सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी को लेकर
सचिन पायलट के कांग्रेस में लौट आने के पीछे बहुत बड़ी वजह बताई जा रही है। वो है कांग्रेस में एक लॉबी की गहलोत से नाराजगी बढ़ती जा रही है। जिसके बाद दिल्ली में संगठन महासचिव रहते गहलोत के ‘शिकार’ रहे नेता और राजस्थान के नेताओं की टोली ने गांधी परिवार को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि- गहलोत पर ज्यादा विश्वास और निर्भरता कांग्रेस के ज्यादा हित में नहीं।