राजस्थान: मंदिरों में लोगों ने भगवान या फिर शहीद जवानों की मूर्तियों की पूजा करी होगी. लेकिन कहीं-कहीं महापुरुषों के मंदिर बनाकर उनकी पूजा की जाती है. लेकिन क्या आपने कभी साईकिल या गाड़ी की पूजा होते देखा है. ऐसे में चलिए आज एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताएंगे जहां भगवान् की नहीं बल्कि बुलेट की पूजा की जाती है.
इस गांव में देवी-देवताओं की नहीं बल्कि बुलेट की जाती है पूजा
आपको बता दें राजस्थान के पाली जिले में एक स्थान पर मंदिर बनाया गया है. जहां किसी देवी देवता या महापुरुष की नहीं बल्कि बुलेट की पूजा की जाती है. यहां बुलेट की पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी होती है. वहीं इस मंदिर में भक्त प्रसाद नहीं बल्कि शराब चढ़ाकर बुलेट को खुश करते हैं. लोगों का मानना है कि बुलेट की पूजा करने से कोई दुर्घटना नहीं होती और सभी लोग सुरक्षित रहते हैं. इस अनोखी परम्परा पीछे एक कहानी छिपी हुई है.
गांववाले बुलेट की पूजा करने के साथ-साथ प्रसाद में चढ़ाते हैं शराब
जानकारी के मुताबिक एक समय में जब ओम प्रकाश राठौड़ नाम के एक व्यक्ति उस रोड से बुलेट से जा रहे थे. अचानक किसी पेड़ से टकराकर उनका एक्सीडेंट हो गया. इस दुर्घना में उनकी मौत हो गई. तुरंत मौका ए वारदात पर पुलिस पहुंची. घटना का जायजा लेने के बाद में पुलिस ने डेड बॉडी को अस्पताल पहुंचा दिया और बुलेट को लेकर पुलिस स्टेशन चले गए.
बुलेट की पूजा करने से उस जगह पर कभी नही हुआ एक्सीडेंट
पुलिसवालों ने बुलेट पुलिस स्टेशन में खड़ी कर दी, लेकिन जब दूसरे दिन सुबह देखा गया तो बुलेट वहां से गायब हो चुकी थी. पुलिस के जवान खोज में निकले तो बुलेट उसी स्थान पर खड़ी पाई गई जहां पर एक्सीडेंट हुआ था. पुलिस ने फिर से बुलेट को वहां से ले जाकर पुलिस स्टेशन में खड़ा कर दिया और जंजीरों से बांध दिया. परंतु अगले दिन फिर से बुलेट उसी स्थान पर अपने आप पहुंच गई. इसे लोग चमत्कार से कम नहीं मान रहे थे.
ऐसे में उस गाँव के लोगों ने जहां बुलेट का एक्सीडेंट हुआ था उसका एक मंदिर बना दिया. लोग भारी संख्या में इस मंदिर में बुलेट की पूजा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. शराब को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. लोगों का मानना है कि यह बुलेट उनकी रक्षा करती है और कोई भी दुर्घटना होने से उन्हें बचाती है. वहीं गांव वालों का यह भी कहना है कि जब से उस जगह पर मंदिर बन गया तब से अभी तक एक्सीडेंट नहीं हुआ है.