उत्तर प्रदेश लखनऊ से लेकर देवरिया तक सरकारी गाड़ी से चले और कई कार्यक्रमों में शामिल होने वाले दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री लालबाबू वाल्मीकि चर्चा का विषय बन चुके हैं। उत्तर प्रदेश राज्य सफाई आयोग के उपाध्यक्ष लालबाबू वाल्मीकि के देवरिया पहुंचने के दौरान उनकी सरकारी गाड़ी पर उल्टा तिरंगा लगा हुआ था, लेकिन इतनी लंबी दूरी तय करने के बावजूद और कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के दौरान भी राज्य मंत्री का ध्यान गाड़ी पर लगे हुए उल्टे तिरंगे की तरफ नहीं गया। जिसके बाद यह मामला काफी चर्चा में आ चुका है।
2 दिन के दौरे पर रहे मंत्री
खबरों के मुताबिक राज्य मंत्री लालबाबू वाल्मीकि रविवार को दो दिवसीय दौरे के लिए देवरिया आए हुए थे। जहां पर उन्होंने बांसफोड़ भीखमपुर रोड पर हुए एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया। वहां पर मौजूद सभी का ध्यान गाड़ी में लगे उल्टी तिरंगे की तरफ गया लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई, जो उसे सही करने की सलाह दे सके। इस कार्यक्रम के बाद वे नगर पालिका परिषद का दौरा करने भी पहुंचे। इसके बाद सोमवार के दिन नगरपालिका स्थित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में भी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बैठक की।
इस तरह राज्यमंत्री लालबाबू वाल्मीकि अपने इस सरकारी गाड़ी से 2 दिनों तक दौरे पर रहे, जिसमे कि, उल्टा झंडा लहरा रहा था, लेकिन उनकी खुद की नजर तिरंगे पर नहीं गई। जब किसी मंत्री की नजर गाड़ी पर लगे हुए उल्टे झंडे की तरफ गई तो उन्होंने इस बारे में बताया, तब जाकर पूरा मामला सामने आया।
ड्राइवर की गलती, एक्शन लूंगा: मंत्री लालबाबू वाल्मीकि
इसी बीच यह मामला धीरे-धीरे और भी आगे बढ़ने लगा। मंत्री लाल बाबू वाल्मीकि ने जब देखा कि, मामला हद से ज्यादा आगे बढ़ रहा है तो उन्होंने कहा कि, ‘ वह निरीक्षण करने के लिए निकले थे, लेकिन ऐसा तो नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ है तो यह ड्राइवर की जिम्मेदारी है। मंत्री होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि, मैं अपने काम पर ही ध्यान देता हूं, ना कि मैं ड्राइवर पर ध्यान देता हूं। इस गलती के लिए ड्राइवर के खिलाफ मै कार्यवाही अवश्य करूंगा’। इस तरह ड्राइवर की गलती देते हुए मंत्री जी ने अपना किनारा कर लिया।
राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने पर हो सकती है 3 साल की कैद
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के मुताबिक राष्ट्रीय चिन्हों को लेकर कड़ी कानून व्यवस्था बनाई गई है। इसके मुताबिक यदि कोई भी नागरिक मौखिक, लिखित या किसी अन्य रूप से राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता हुआ पाया जाएगा, तो उसे कम से कम 3 साल तक की कैद हो सकती है। इतना ही नहीं दोषी व्यक्ति को 3 साल तक की कैद के साथ जुर्माना भी हो सकता है।