Cricket: कुछ लोगों के लिए क्रिकेट सिर्फ खेल है, लेकिन कुछ इस पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं। क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ी ऐसे हुए, जिन्होंने अपनी जान तक इस महान खेल के हवाले कर दी। अगर इतिहास के पैन पलटे, तो आपको ऐसे कई भारतीय क्रिकेटर मिल जाएंगे, जिन्होंने अपने स्वास्थ्य और शरीर को नजर अंदाज कर अपने देश को प्राथमिकता दी।
आज हमारे इस खास आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही दो दिग्गजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने मैदान खुस बहने के बावजूद हार नहीं मानी और अपनी टीम को जीत दिला कर ही दम लिया। आइये जानते हैं कि कौन हैं वे दो खिलाड़ी।
1. युवराज सिंह

टीम इंडिया के महानतम ऑलराउंडर्स में शुमार युवराज सिंह 2011 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा थे। उन्होंने इस मेगा टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया। मगर काफी कम लोगों को पता है कि युवी उस समय कैंसर से जूझ रहे थे।
2011 वर्ल्ड कप में 20 मार्च को भारतीय टीम ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ ग्रुप स्टेज का मुकाबला खेला था। इस मैच में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। मगर दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर शुरुआत में ही आउट हो गए। इसके बाद सिक्सर किंग युवराज सिंह बल्लेबाजी करने उतरे। उन्होंने शानदार शतकीय खेलते हुए भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई। युवी ने 123 गेंदों में 10 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 113 रन बनाए।
मगर युवराज की इस शतकीय पारी के दौरान उनके मुंह से खून निकलने लगा। उन्हें मैदान पर खून की उल्टी भी हुई। इसके बावजूद युवराज डटे रहे और न सिर्फ वो मैच, बल्कि पूरा टूर्नमेंट खेला। इतना ही नहीं, वर्ल्ड कप 2011 में उन्होंने 1 शतक और 4 अर्धशतकों की मदद से कुल 362 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने 15 विकेट भी अपने नाम किए। इस शानदार प्रदर्शन के लिए युवी को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाजा गया। बाद में पता चला कि उन्हें कैंसर था, लेकिन उस समय इस बात की जानकारी ना तो टीम मैनेजमेंट को थी और ना ही खुद युवराज को।
इसके बाद साल 2014 में युवराज सिंह ने एक इंटरव्यू देते हुए कहा कि अगर वे वर्ल्ड कप के दौरान खेलते खेलते मर भी जाते, तो भी वो आखिरी दम तक भारत के वर्ल्ड कप जीतने की दुआ करते। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा था,
“पहले मुझे लगा कि उल्टी गर्मी की वजह से हुई। मैं हमेशा नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने उतरता था, लेकिन वीरेंदर सहवाग के वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद मैंने फैसला किया कि ऊपर जाऊंगा और अच्छा स्कोर करूंगा। चेन्नई में शतकीय पारी के दौरान जब मुझे उल्टी हुई, तो मैंने भगवान से प्रार्थना की कि जो भी हो, अगर मैं मर भी जाऊं तो भी वर्ल्ड कप भारत ही जीते।”
2.अनिल कुंबले

यह बात साल था 2002 की है, जब भारत 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने वेस्टइंडीज के दौरे पर गया था। पहला मैच ड्रा हुआ था। दूसरे मैच को भारत ने 37 रन से जीता। वहीं, तीसरे मैच में वेस्टइंडीज को 10 विकेट से जीत हासिल हुई थी। सीरीज एक-एक से बराबर चल रही थी। तभी शुरू होता है चौथा टेस्ट मैच, जिसमें अनिल कुंबले के ऐसे बुलंद हौंसले देखने को मिले, जिसकी आज भी दाद दी जाती है।
इस मुकाबले में कैरेबियाई टीम ने टॉस जीत के पहले गेंदबाजी का फैसला किया। इस मुकाबले में भारत को अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन मध्यक्रम में एक के बाद एक विकेट गिरने से एक समय पर टीम इंडिया मुश्किल में नजर आने लगी। ऐसे में बल्लेबाजी क्रम में प्रमोशन लेकर अनिल कुंबले मैदान पर उतरते हैं। कुंबले का स्वागत वेस्टइंडीज के धाकड़ तेज गेंदबाज मारवेन ढिल्लन ने बाउंसर से किया। कुंबले इस गेंद को खेलने में गलती कर बैठे। उन्होंने अपनी नजरें बॉल से हटा ली और बॉल सीधे जा के उनके जबड़े पर।
कुंबले बताते हैं कि जब वो बॉल उन्हें पड़ी, तो कुछ देर के लिए उनकी आँखों के सामने अंधेरा छा चुका था। दिमाग बंद सा पड़ा था और वो थोड़ा जब होश में आए तो देखा कि वो मैदान में खून थूक रहे थे। कोई भी खिलाड़ी ऐसी स्थिति में पवेलियन लौट जाता, लेकिन कुंबले ने खेलने का फैसला लिया।
अनिल कुंबले ने पानी की बोतल से एक सिप मार मुंह से निकल रहा सारा खून वहीं मैदान में पानी के साथ बाहर थूक दिया, हेलमेट वापस पहना और गार्ड ले के बैटिंग के लिए तैयार हो गए। मगर कैरेबियाई गेंदबाजी की क्रूरता रुकी नहीं और वे लगातार कुंबले को बाउंसर फेंकते रहे। कुछ देर सामना करने के बाद वे शार्ट लेग पर चंद्रपॉल को अपना कैच थमा बैठे।
कुंबले के पवेलियन लौटने पर देखा गया कि उनका जबड़ा पूरी तरह सूज चुका था। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया और जब X-ray कराया, तो कोई गंभीर इंजरी नहीं दिखी। लेकिन अगली सुबह कुंबले को अचानक से बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा। इसके बाद जब दुबारा X-ray कराया गया, तो दिखा कि कुंबले का जबड़ा टूट चुका था। कुबले से जल्द से जल्द सर्जरी कराने को कहा गया पर वे नहीं चाहते थे कि उनकी सर्जरी वेस्टइंडीज में हो। ऐसे में फिजियो ने उनके जबड़े पर पिन मारी और उसी रात उन्हें इंडिया भेजने की व्यवस्था की गई।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। वेस्टइंडीज के बल्लेबाजी आते ही कुंबले मुँह पे पट्टी बांधे हुए अपने जबड़े को उसी पट्टी से संभाले हुए मैदान पर उतरे। इतना ही नहीं महान बल्लेबाज ब्रायन लारा का विकेट भी चटकाया।