देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने अपने प्रदेश में अंतर्जातीय और अंतर्धार्मिक विवाह को आगे बढ़ाने के लिए एक बहुत ही अच्छा फरमान दिया है कि अगर कोई भी अन्य जाति या धर्म से विवाह कर रहा है तो उसे उत्तराखंड सरकार द्वारा 50000 रुपये की राशि दी जाएगी . बतादे की प्रदेश के समाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा ये बताया गया है कि किसी भी अन्य जाति धर्म मे शादी करने में पंजीकृत कुछ रूल भी है उन्होंने कहा कि किसी मान्यता प्राप्त मंदिर , मस्जिद , गिरजाघर , या देवस्थान में विवाह संपन्न होने चाहिए.
वही ये शादी करने के बाद राशि ग्रहण करने वाले पति या पत्नी किसी एक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार अनुसूचित जाति का होना महत्वपूर्ण है.
बतादे की टिहरी के जिला समाज कल्याण के अधिकारी दीपंकर घलड़ियाल ने बताया कि राष्ट्रीय एकता के भावनाओ को बनाये रखने तथा समाज में एकता बनाये रखने हेतु अंतरजातीय और अंतर्धार्मिक शादी करना काफी अच्छा साबित हो सकती है.
शादी करने वाले जोड़ो को एक साल के बाद वो पाने वाली राशि आवेदन कर सकते है
साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद सम्बंधित नियम को जैसे का तैसा स्वीकार कर लिया गया था और जो भी जोड़े ऐसे शादी करने वाले थे उनको 10000 रुपये की राशि दी जाती थी . वही 2014 में इसके संशोधन करने के बाद, देने वाली राशि को बढ़ाकर 50000 रुपये कर दिया गया.
महिलाओं से शादी करने के नाम पर कतिथ धर्मांतरण पर रोक लगाने हेतु भाजपा सरकार और कई प्रदेश सरकार भी इस पर कानून बनाने को सोच रहे लेकिन वही उत्तराखंड सरकार द्वारा फरमान जारी है कि शादी के जोड़े में किसी एक अनुसूचित जाती होंने वाले जोड़ो के 50000 रुपये की राशि दी जाएगी.
लोगो के अनुसार और ये बात सही भी है कि वो शादी सबसे बढ़िया होती है जिसमे दहेज का लेनदेन ना हो , ऐसे में उत्तराखंड सरकार द्वारा ये फैसला अपनी पसंद से शादी करना ये किसी वरदान से कम नही है.