लखनऊ। सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में, मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही…अब्दुल हमीद अदम का शेर बच्चों के मर्म को उस वक्त उकेर देता है, जब घर छोड़ने का एहसास उन्हें होता है। कि इस भीड़ में सारे रिश्ते छोड़कर वो खुद को अकेला महसूस करते हैं। यह बात हम नहीं बल्कि, चाइल्ड लाइन के आंकडे बता रहे हैं। जनवरी 2019 से अब तक सिटी चाइल्ड लाइन को शहर के फुटपाथ, गली-मोहल्लों से 380 बच्चे भटकते हुए मिले। जिनमें ज्यादातर मां-बाप की डांट पर घर से भागकर आ गए थे। चाइल्ड लाइन ने काउंसलिंग के बाद 316 बच्चों को सही सलामत घर पहुंचाया। वहीं 55 बच्चे ऐसे है जोकि मानसिक रूप से दिव्यांग और नवजात शामिल हैं। जिनके घर और मां-बाप ट्रेस नही हो सके हैं। वे अब शेल्टर होम में हैं।
जनवरी 2019 से अब तक इतने मिले बच्चे
1- पूर्वोत्तर रेलवे पर मिले बच्चे
296 बच्चे घर छोड़कर रेलवे प्लेटफार्म पर मिले
247 बच्चों को चाइल्ड लाइन में पहुंचाया घर
49 बच्चों को शेल्टर होम हैं, जो ट्रेस नही हो सके
उत्तर रेलवे पर मिले बच्चे
450 बच्चे घर छोड़कर रेलवे प्लेटफार्म पर मिले
385 बच्चों को चाइल्ड लाइन में पहुंचाया घर
65 बच्चों को शेल्टर होम हैं, जो ट्रेस नही हो सके
इन वजहों से घर छोड़ रहे बच्चे
सिटी चाइल्ड लाइन के काउंसलर कृष्णा शर्मा बताते हैं कि अमूमन बच्चे खुद की पहचान बनाना चाहते हैं, वह अपने पैरेंट्स की पहचान पंसद नहीं करते हैं। वहीं बच्चों का स्वभाव जिद्दी होता है, वह अपनी जिद को पूरा करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाने से पहले जरा सा भी नहीं सोचते हैं। जबकि पैरेंट्स अपने बच्चे की हर ख्वाहिश को समझते है और उन्हें पूरा करने की कोशिश की करते हैं। वहीं भागती दौड़ती लाइफ में पैरेंट्स अपने बच्चों पर कम ध्यान दे पाते हैं। इसका काफी असर बच्चों पर पड़ता है। बताया कि खासतौर पर पैरेंट्स बच्चों को फ्रैंडली माहौल नहीं दे पाते हैं, जिस वजह से पैरेंट्स बच्चों की बातों को सुनकर भी अनसुना कर देते हैं।
सोशल मीडिया का इफेक्ट
सिटी चाइल्ड लाइन के कांउसलर के मुताबिक, सोशल मीडिया का बच्चों पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। आमतौर बाॅलीवुड फिल्मों में यह सीन दिखाया जाता है कि बच्चा घर से भागने के बाद बड़ा आदमी यानि अमीर हो जाता है। इन सीन को देख बच्चे सच मानने लगते है। इस वजह से भी कई बच्चे घर छोड़कर चले जाते है।
वर्जन
इस वक्त शहर में परिवार से बिछुडे और घर छोड़कर बच्चे कम पाए जा रहें है। हमारी संस्था इस बात पर फोकस पर रही है जो परिवार भुखमारी के डर से बच्चों को पलायन कर रहे हैं, उन पर व उनके बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
डाॅ. संगीता सिंह, बाल विकास कल्याण अधिकारी
शहर जो भी बच्चे चाइल्ड लाइन टीम को मिल रहे हैं, उनमें घर से नाराज होकर भागने वालों की संख्या अधिक है। बच्चों की काउंसलिंग कराने के बाद उनका होम ट्रेस हो पाता है।
कृष्ण शर्मा, सिटी चाइल्ड लाइन काउंसलर