Yuvraj Singh Told That The Decision To Give The Last Over To Joginder Was Not Of Dhoni But Of This Player.
Yuvraj Singh told that the decision to give the last over to Joginder was not of Dhoni but of this player.

Yuvraj Singh: टीम इंडिया (Team India) के महान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने अपनी अगुवाई में भारत को तीन आईसीसी ट्रॉफी जिताई हैं। 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबला जीतकर भारत ने आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप अपने नाम किया। इसके ठीक 4 साल बाद धोनी की कप्तानी में ही भारत ने श्रीलंका को पटखनी देकर वर्ल्ड कप और 2013 में इंग्लैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की।

हालांकि, कई बार आरोप लगाया गया है कि धोनी के कारण टीम के दूसरे खिलाड़ियों को जीत का श्रेय नहीं दिया जाता है। अब इसी कड़ी में पूर्व भारतीय हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा किया है।

एमएस धोनी ने चुराया हरभजन सिंह का क्रेडिट!

Harbhajan Singh And Ms Dhoni
Harbhajan Singh And Ms Dhoni

युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट शो में शिरकत की थी, जिसमें उन्होंने 2007 में टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि मैच का आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा को देने का आइडिया तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी का नहीं, बल्कि हरभजन सिंह का था। युवी ने कहा,

“वास्तव में एक निर्णय था कि भज्जी को अंतिम ओवर फेंकना है। धोनी उनके पास गए और कहा कि अनुभव के साथ तुम्हें ही गेंदबाजी करनी होग। मगर भज्जी ने कहा, ‘मैंने मिस्बाह को एक ओवर फेंका और उन्होंने तीन छक्के मारे, इसलिए अब आपको जोगिंदर के साथ जाना चाहिए।’ यह हरभजन ही थे, जिन्होंने धोनी को यह आइडिया दिया था।”

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धोनी को दोस्त नहीं मानते हैं Yuvraj Singh?

Yuvraj Singh And Ms Dhoni
Yuvraj Singh And Ms Dhoni

आपको बता दें कि हाल ही में युवराज सिंह (Yuvraj Singh) यह भी स्वीकार किया था कि धोनी और वे करीबी दोस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों का लाइफ स्टाइल अलग काफी अलग है। युवी ने यह भी माना की धोनी और उनके बिच मैदान पर फैसले लेने पर भी मतभेद होता था। उन्होंने कहा,

“मैं और माही अच्छे दोस्त नहीं थे। हम सिर्फ मैदान पर दोस्त थे। मेरी लाइफ स्टाइल बिल्कुल अलग थी। इसी वजह से हम दोनों कभी भी क्लोज फ्रेंड नहीं थे। मगर जब भी हम मैदान पर होते थे, तो अपना पूरा सौ प्रतिशत देते थे। हालांकि, जब वो कप्तान थे और मैं उपकप्तान था तो हम लोगों के निर्णय कई बार अलग होते थे। कभी-कभी मुझे उनके निर्णय सही नहीं लगते थे और कभी-कभी उन्हें मेरे निर्णय सही नहीं लगते थे और ये किसी भी टीम में होता रहता है।”

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