मान्यवर-मोहे का विज्ञापन कर विवादों में फंसी आलिया भट्ट, लोगों ने किया #Boycottmanyavar

मुंबई: ब्राइडल कपड़ों की फेमस ब्रांड मान्यवर-मोहे एक शादी का विज्ञापन खूब सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. इन दिनों ट्वीटर पर इस विज्ञापन को लेकर #BoycottManyavar भी ट्रेंड करने लगा. इस विज्ञापन ने बॉलीवुड की क्यूट एक्ट्रेस आलिया भट्ट को दिखाया गया है.

जानकारी के मुताबिक इण्डिया में मान्यवर पुरुषों की शेरवानी, शादी के फैशनेबल कुर्ते के लिए जाना जाता है, जबकि “मोहे” महिलाओं के लिए है, जिसमें दुल्हन के लहंगे और पार्टी वियर लिबास आते हैं.  इस विवादित नवीनतम विज्ञापन में, जहां बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट को एक हिंदू विवाह ‘मंडप’ में दिखाया गया है, जो शादी की अंतिम रस्मों का इन्तजार कर रही है. यह विज्ञापन मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि भारत में लड़कियों को कितनी बार बोझ माना जाता है और कभी-कभी शादी को केवल एक दायित्व के रूप में देखा जाता है.

मान्यवर-मोहे का विज्ञापन कर विवादों में फंसी आलिया भट्ट, लोगों ने किया #Boycottmanyavar

आलिया भट्ट विज्ञापन में शादी की अंतिम रस्मों का कर रहीं इन्तजार

आप विज्ञापन में देखेंगे आलिया सवाल करती दिखाई देती हैं. क्यों शादी में लड़कियों को दान देने की प्रथा है. क्या हमें आज के युग में इसे करना चाहिए? वे कहती हैं कि बेटियां संपत्ति नहीं हैं. आलिया आखिर में कहती हैं कि “कन्या दान” की जगह “कन्या मान” होना चाहिए. इस विज्ञापन का उद्देश्य समाज और प्रथा में मौजूद लिंगवाद को दिखाना और मॉडर्न इंडिया में महिलाओं के साथ हो रहे व्यवहार को सामने लाना था. हालांकि काफी लोगों को ये हिन्दू धर्म की प्रथाओं पर हमले के रूप में दिखाई दे रहा है. जिसके बाद लोगों ने ट्वीटर पर #BoycottManyavar की अपील करते हुए कन्या दान प्रथा का बचाव भी किया.

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सोशल मीडिया पर हुआ इस विज्ञापन का भारी विरोध

इस विज्ञापन के बाद मान्यवर ब्रांड ही नहीं बल्कि आलिया भट्ट भी लोगों के गुस्से का शिकार हो रही हैं. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि सनातन धर्म में अगर किसी पिता को कन्यादान का मौका मिलता है तो उसे काफी भाग्यशाली माना जाता है.

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वहीं एक अन्य यूज़र ने लिखा, ‘केवल हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को ही क्यों निशाना बनाया जाता है जबकि अन्य धर्मों के वास्तविक दमनकारी रीति-रिवाजों को ब्रांडों से मुफ्त पास मिलता है??? ‘वहीँ एक अन्य यूजर ने लिखा ‘कपड़ों के ब्रांड ‘मान्यवर’ का विज्ञापन हिंदू अनुष्ठान ‘कन्यादान’ को एक दमनकारी प्रथा के रूप में चित्रित करता है और एक विकल्प के रूप में ‘कन्यादान’ का सुझाव देता है.’ एक यूजर ने कहा है कि ये बिल्कुल बेकार बात है, कुछ लोग मार्केटिंग के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. वहीं एक यूजर ने इन सब लोगों की चुटकी लेते हुए लिख दिया है कि मान्यवर का बहिष्कार करने की बात कहने वाले 90 फीसदी लोग ऐसे होंगे जो मान्यवर के कपड़े खरीदने की हैसियत भी नहीं रखते होंगे.

https://twitter.com/harishrajguru19/status/1440689899951116303?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1440689899951116303%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.indiafeeds.org%2F69540%2Fmanyavar-advertisement-controversy%2F

ट्वीटर पर लोगों ने मान्यवर के विज्ञापन का किया बहिष्कार, एक यूजर ने कहा- कपड़े खरीदने की हैसियत भी नहीं

कई लोगों ने इस बारे में भी कहा कि कन्यादान वस्तुतः दान नहीं है, या ‘दान’ जैसा कि नाम से पता चलता है.

जानकारी के मुताबिक मान्यवर इस प्रथा के बारे में बात करने वाले पहले नहीं है. इससे पहले साल  2019 में ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे दुल्हन के पिता ने शादी में एक भाषण दिया था. उसमे उसने कहा था कि, बेटी कोई देने की सम्पति नहीं है. उस समय भी सोशल मीडिया पर कई लोगों ने पिता द्वारा इस प्रथा को छोड़ने के ऊपर आपत्ति जताई थी.