Famous Dancer Kumudini Lakhia Dies Suddenly
Famous dancer Kumudini Lakhia dies suddenly
Kumudini Lakhia: मनोरंजन जगत के लिए इस महीने आए दिन बुरी खबर सामने आ रही है। ऐसे में बीते दिनों एक्टर मनोज कुमार समेत प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के निधन की खबरे सामने आई है। अब भारतीय शास्त्रीय नृत्य की दुनिया में शोक की लहर है। कथक को नई दिशा देने वाली उस्ताद कुमुदिनी लाखिया (Kumudini Lakhia) का सुबह 12 अप्रैल को निधन  हो गया। 

मशहूर कत्थक डांसर Kumudini Lakhia का निधन

Dancer Demise

खबर की माने तो डांसर कुमुदिनी (Kumudini Lakhia) पिछले तीन महीने से आयु संबंधी कुछ बीमारियों से पीड़ित थीं। लाखिया ने 1964 में डांस केंद्र की स्थापना की थी। उन्होंने ‘उमराव जान (1981)’ सहित कई फिल्मों में कोरियोग्राफर के तौर पर भी काम किया।

कुमुदिनी लाखिया (Kumudini Lakhia) ने 1964 में अहमदाबाद में ‘कदंब सेंटर फॉर डांस’ की स्थापना की थी। उन्होंने इसे कुछ छात्रों के एक छोटे समूह के साथ शुरू किया था। यह संस्थान न केवल एक प्रशिक्षण केंद्र बना। बल्कि कथक को एक प्रयोगात्मक रंग देने का मंच भी बना।

1973 में इंडस्ट्री में रखा था कदम

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डांसर कुमुदिनी (Kumudini Lakhia) को पारंपरिक बंधनों से बाहर निकालकर सामाजिक, समकालीन और सौंदर्य संदर्भों से जोड़ा। कोरियोग्राफर के तौर पर अनूठी पहचान कुमुदिनी लाखिया ने 1973 में कोरियोग्राफी की दुनिया में कदम रखा।

उनकी नृत्य-नाटिकाओं और प्रस्तुतियों में कथक के पारंपरिक रूप के साथ-साथ आधुनिक रंग, विचार और भाव भी होते भारतीय सांस्कृतिक संस्थाओं ने भी किया सम्मानित

पीएम मोदी ने भी जताया दुःख

उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून पिछले कई वर्षों में उनके उल्लेखनीय काम में झलकता है। मोदी ने एक्स पर कहा,

“कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से बहुत दुखी हूं, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई। कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून वर्षों से उनके उल्लेखनीय कार्यों में झलकता था।”

पद्म विभूषण से सम्मानित हुई थी कुमुदिनी

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कुमुदिनी लाखिया (Kumudini Lakhia) को उनके विशेष योगदान के लिए भारत के कई सांस्कृतिक संगठनों ने सम्मानित किया। उन्होंने देश-विदेश में भारतीय शास्त्रीय नृत्य की एक मजबूत पहचान बनाई। उनके कोरियोग्राफ किए गए प्रदर्शन न केवल मंच पर सराहे गए, बल्कि अकादमिक और कला जगत में भी चर्चा का विषय बने।

उन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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