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E कमाई से मोबाइल लेने की चाहत में यह लड़का सूरत में 10 किलोमीटर तक पैदल भटका

E कमाई से मोबाइल लेने की चाहत में यह लड़का सूरत में 10 किलोमीटर तक पैदल भटका

आज के समय में जहां इंसानियत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है, वह पर सूरत से एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसे जानकर आपको यह यकीन हो जाएगा कि, इंसानियत आज भी जिंदा है. जी हां डांग जिले के अहवा से सूरत तक एक आदिवासी लड़का भूखा प्यासा सिर्फ इसलिए निकल पड़ा क्योंकि वह अपनी कमाई से पैसे और मोबाइल लेना चाहता है.

दरअसल नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत के असम जिले के रहने वाले लक्ष्मण नेपाली शुक्रवार को मजूरा गेट के चौराहे पर अपनी ड्यूटी कर रहे थे उसी समय उन्होंने एक लड़के को भीख मांगते हुए देखा. उस लड़के का नाम सूरज भोई था, उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष थी. वह लड़का घर पर किसी को बिना बताए सूरत के लिए निकल पड़ा था. 25 सितंबर की सुबह ही वह अपने शहर से निकल लिया, वह अपने गरीब परिवार के लिए पैसे कमाना चाहता था और अपने लिए एक फोन लेना चाहता था.

 

E कमाई से मोबाइल लेने की चाहत में यह लड़का सूरत में 10 किलोमीटर तक पैदल भटका

 

वह लड़का शहर में कई दिनों तक भूखा प्यासा भटकता रहा लेकिन, किसी ने भी उसकी मदद नहीं की. मानवता और इंसानियत का परिचय देते हुए ऐसे में एक ट्रैफिक रोड ब्रिगेड के कर्मचारी लक्ष्मण नेपाली ने उस लड़के की मदद की और उसे खाना भी खिलाया. उस कर्मचारी ने आदिवासी लड़के सूरज भोई की मदद के साथ-साथ उसे सही सलामत घर भी पहुंचा दिया. लक्ष्मण नेपाली कि आज हर कोई सराहना कर रहा है.

 

E कमाई से मोबाइल लेने की चाहत में यह लड़का सूरत में 10 किलोमीटर तक पैदल भटका

 

वह लड़का किसी की सहायता पाने के लिए 10 किलोमीटर तक पैदल भटकता रहा, लेकिन उसे किसी ने असरा नहीं दिया. वह बहुत ज्यादा भूखा भी था. नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत के असम जिले के रहने वाले 37 वर्षीय लक्ष्मण नेपाली ने उसे भीख मांगते हुए देखा तो उन्होंने उसकी मदद की. इतना ही नहीं लक्ष्मण नेपाली ने उस लड़के को टिकट खरीद कर भी दिया और उसको घर जाने में मदद भी की. लक्ष्मण नेपाली ने उस 19 वर्षीय लड़के की मदद फ्रेंड्स फॉर वीमेन एंड चिल्ड्रन (FFWC) की सहायता से की. लक्ष्मण नेपाली कि इस मानवता और इंसानियत को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा है.

गुजरात के सूरत ट्रैफिक के डीसीपी ने बताया कि, ”सूरत पुलिस ऐसे बुजुर्गों और बच्चों की मदद करने के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है. इस पहल में टीआरबी के जवान भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सबकी मदद करते हैं.

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...