रिटायर्ड फौजी को बच्चों ने छोड़ा अकेला, 2 वक्त के खाने को है मोहताज

मां बाप जिन बच्चों को पढ़ा लिखा कर बड़ा करते है, बच्चे बड़े होकर उन्हीं के साथ ऐसा बर्ताव करत है कि मां बाप को भी अपने बच्चों के जन्म पर रोना आता है. कुछ ऐसा ही मामला मुरैना जिले के पोरसा कस्बे में सामने आया है. यहां एक रिटायर्ड फौजी और उसकी पत्नी को उनके दो बेटों और एक बेटी ने बुढ़ापे में अकेला छोड़ दिया. जिससे परेशान बुजुर्ग दंपत्ति ने प्रशासन से दोनों बेटों को जेल में डालने की गुहार लगाई है.

बेटों ने मां बाप को छोड़ा अकेला

रिटायर्ड फौजी को बच्चों ने छोड़ा अकेला, 2 वक्त के खाने को है मोहताज

95 साल के फौजी  इंस्पेक्टर सिंह, पोरसा में अपनी बीमार पत्नी राजाबेटी के साथ रहते हैं. आर्मी में कुछ साल नौकरी करने के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया. बाद में सीआईएसएफ में नौकरी की. इस दौरान उनके दोनों बेटों की नौकरी भी फौज में लग गयी. जबकि बेटी का विवाह कर दिया.

फौज में दो-दो नौकरियां करते हुए इंस्पेक्टर सिंह ने करोड़ों की दौलत तो कमा ली, लेकिन पारिवारिक सुख से वंचित है. बुढ़ापा आने के बाद उनके दोनों बेटों ने उन्हें अकेला छाड़ दिया. एक बेटा राजेंद्र भोपाल में शिफ्ट हो गया तो दूसरा बेटा देवेंद्र ग्वालियर में रहने लगा, दोनों में से किसी ने भी मां-बाप को अपने साथ नहीं रखा.

पड़ोसी देते हैं खाना

रिटायर्ड फौजी को बच्चों ने छोड़ा अकेला, 2 वक्त के खाने को है मोहताज

बुजुर्ग ने बताया कि 10 साल पहले उनकी पत्नी को लकवा मार गया, लकवा ग्रस्त पत्नी की सेवा करते हुए दो साल से वह खुद भी डिप्रेशन का शिकार हो गए. पड़ोसियों ने बताया कि डिप्रेशन की वजह से कभी-कभी फौजी का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. जब तक उनके हाथों में जान थी पत्नी की खूब सेवा की. अब बढ़ती उम्र की वजह से वह खाना भी नहीं बना पाते. जिससे फौजी और उनकी पत्नी को भूखा देख पड़ोसी मदद कर देते हैं, लेकिन जब कोई मदद नहीं मिलती तो कभी-कभी उनको खाली पेट भी रात गुजारनी पड़ती है.

बेटों पर करना चाहते हैं कार्यवाही

रिटायर्ड फौजी को बच्चों ने छोड़ा अकेला, 2 वक्त के खाने को है मोहताज

फौजी की परेशानी जब तहसीलदार नरेश शर्मा तक पहुंची तो वह उनके घर पहुंचे. तहसीलदार के पहुंचने पर उनकी पत्नी को लगा कि शायद कोई डॉक्टर उन्हें दवाई देने आया है. उन्होंने  नरेश को सारी व्यथा सुनाई और रोने लगे. फौजी ने तहसीलदार से कहा कि साहब मेरे दोनों बेटों को जेल में डाल दो, चाहे तो मेरी पूरी संपत्ति ले लो. लेकिन हमारी देखभाल की व्यवस्था करवा दो. जिसके बाद तहसीलदार ने फौजी की मदद करने के लिए एक प्रकरण तैयार कर एसडीएम को भेज दिया है.

तहसीलदार नरेश शर्मा का कहना है सब कुछ होने के बाद भी बुजुर्ग दंपती को खाने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. हालांकि इंस्पेक्टर सिंह को पेंशन मिलती है, खेती-बाड़ी भी है. उन्होंने किसी बेटे से कभी एक रुपया नहीं मांगा. इस मामले में प्रशासन भरण-पोषण अधिनियम के तहत प्रकरण बनाकर एसडीएम कोर्ट में पेश करेगा. तहसीलदार ने कहा कि इस मामले में ऐसी कार्रवाई करेंगे कि ऐसी सोच रखने वाली हर संतान को सबक मिलेगा.

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मेरा नाम दिव्यांका शुक्ला है। मैं hindnow वेब साइट पर कंटेट राइटर के पद पर कार्यरत...