लगातार खाद्य तेल की महंगाई बढ़ने से आम लोग परेशान हैं। मंगलवार को ब्रांडेड सरसों तेल की कीमत 210 रुपये किलो तक पहुंच गयी। जबकि, एक लीटर के पाउच की कीमत 193 रुपये हो गयी है। बाजार में साधारण तेल भी 195 रुपये से कम में नहीं मिल रहा है। कल्याणी चौक स्थित एक ब्रांडेड सरसों तेल के विक्रेता ने बताया एक माह में सरसों तेल की कीमत में 18 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, रिफाइन की कीमत में पांच रुपये की मामूली बढ़ोतरी हुई है। रिफाइन अभी भी शहर में 160 रुपये से 165 रुपये लीटर मिल रहा है।
सरकार के कहने पर महंगी हुई सरसों तेल
पंकज मार्केट स्थित थोक विक्रेता ने बताया कि सरसों तेल की कीमत में बढ़ोतरी सरकार के नए दिशा-निर्देश के बाद हुई है। कंपनियां पहले एक लीटर सरसों तेल में 28 फीसदी पॉम वॉयल मिलाया करती थीं, मगर नये नियम के अनुसार अब उन्हें एक लीटर सरसों तेल में 12 फीसदी ही पॉम वॉयल मिलाने का निर्देश सरकार की ओर से दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिर्पोट के अनुसार अत्यधिक पॉम वॉयल मिलाने से लोगों की सेहत बिगड़ रही थी। उसके बाद से सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है, जिससे लोगों की सेहत पर असर नहीं पड़ सके।
दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार को घेरा
दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार से पूछा है कि सरसों सस्ता, तेल महंगा। क्यों? उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु नियंत्रण अधिनियम के प्रावधानों का अमल नहीं हो रहा है। इसी कानून का संशोधन कर मोदी शाह सरकार बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती हैं। दरअसल, आवश्यक वस्तु नियंत्रण अधिनियम को 1955 में बनाया गया था।
इस कानून के जरिए जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकना था ताकि लोगों को उचित मूल्य पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाया जा सके। अब केंद्र की सरकार ने 2020 में इसमें संशोधन किया है। संशोधन के वक्त सरकार की तरफ से कहा गया था कि अब भारत इन वस्तुओं का पर्याप्त उत्पादन करता है, ऐसे में इन पर नियंत्रण की जरूरत नहीं है। इस कानून के जरिए वस्तुओं के भंडारण की एक सीमा होती थी। इसमें खाद्य तेल भी आते थे।