कोरोना महामारी के बीच आई खुशखबरी मिला पहला सफल इलाज, नए वैरिएंट पर भी है असरदार, जानिए क्या है ये दवा, कितनी है कीमत

भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का पहला सफल इलाज हुआ है. गुड़गांव स्थित अस्पताल में 82 साल के मरीज को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल की खुराक दिए जाने के एक दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. उन्हें मेदांता अस्पताल में खुराक देने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हानिकारक रोगजनक वायरस से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता की नकल करते हैं. ऐसा एंटीबॉडी कॉकटेल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया गया था जब वे कोरोना से संक्रमित हुए थे.

समाचार एजेंसी एएनआई से मेदांता के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया कि इस तरह का मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल अमेरिका और यूरोप में खूब दिया जाता है. इसे लेकर अनुभव यह है कि कोरोना संक्रमण के पहले सात दिनों में जब यह दिया जाता है तो 70 से 80 फीसदी लोग, जिन्हें अस्पताल जाने की जरूरत पड़ती, उन्हें यह कॉकटेल देने के बाद अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं पड़ती है.

क्या है यह कॉकटेल

एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिश्रण है, जो किसी वायरस पर एक जैसा असर करती हैं. यह कॉकटेल एंटीबॉडी दवा में कोरोना वायरस पर समान असर करने वाली एंटीबॉडीज का मिश्रण है. एंटीबॉडी-ड्रग कॉकटेल Casirivimab और Imdevimab को स्विस कंपनी Roche ने Regeneron के साथ मिलकर तैयार किया है और भारतीय कंपनी सिप्ला इसकी मार्केटिंग सहयोगी है. ये प्रोटीन वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम की क्षमता की कॉपी करते हैं, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ये कॉकटेल वायरस के मानव कोशिकाओं में प्रवेश को रोकने का काम करते हैं.

कितनी होगी कीमत

दवा बनाने वाली कंपनी ने सोमवार को घोषणा की कि यह दवा अब भारत में भी उपलब्ध है. हर मरीज के लिए इसकी एक खुराक की लागत 59750 रुपये होगी. भारत में उपलब्ध होने वाले इस रॉश कॉकटेल के 100,000 पैक में से प्रत्येक दो रोगियों के लिए इस्तेमाल किए जा सकेंगे. खास बात ये है कि इस दवा का इस्तेमाल 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों पर भी किया जा सकता है.

CDSCO से मिली है मंजूरी

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने हाल ही में एंटीबॉडी कॉकटेल को इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन यानि EUA दिया है. इसके अलावा दवा को अमेरिका और यूरोपीय संघ के कई देशों में पहले से मंजूरी हासिल है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह दवा भारत में पाए गए पहले कोरोना वैरिएंट पर भी कारगर है.

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