तिहाड़ में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल, कोर्ट ने बढ़ाई न्यायिक हिरासत, क्या कभी रिहा हो पाएंगे दिल्ली के Cm?

Arvind kejriwal: इन दिनों दिल्ली में हर कोई परेशान है। एक तरफ जनता को गर्मी और पानी की समस्या से राहत नहीं मिल रही है तो दूसरी तरफ सीएम केजरीवाल को भी कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल रही है। हाल ही में कोर्ट ने आबकारी नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) को जमानत देने से साफ इनकार कर दिया था। ऐसे अब सीएम को कोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा है। जिससे अब कयास लगाए जा रहें कि अरविंद केजरीवाल अब लंबे समय तक सलाखों के पीछे ही रहने वाले हैं।

कोर्ट ने दिया Arvind kejriwal को झटका

Arvind Kejriwal
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2 जून को जमानत अवधी खत्म होने के बाद अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने तिहाड़ में सरेंडर किया था लेकिन इससे पहले ही उन्होंने कोर्ट में जमानत की अवधी बढ़ाने की अर्जी डाल दी थी। पिछली सुनवाई में जब जमानत देने को लेकर सुनवाई हुई थी तो कोर्ट ने केजरीवाल (Arvind kejriwal) को जमानत देने से तो इंकार कर दिया साथ ही उस दौरान केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 19 जून तक बढ़ा दी गई थी।

ऐसे में आज जब न्यायिक हिरासत की अवधी खत्म होने वाली थी तो आप के कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी की कोर्ट से कोई खुशखबरी सामने आ सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तिहाड़ जेल से  वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए जब अरविंद केजरीवाल को कोर्ट में पेश किया गया तो कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दी।

ईडी ने आप पर लगाए हैं कई आरोप

Arvind Kejriwal
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये पहली बार हुआ है जब धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत किसी राजनीतिक दल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। साथ ही ईडी ने आम आदमी पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं और अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) को पार्टी का संयोजक होने के कारण ही गिरफ्तार किया गया है।  ईडी ने कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र में आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया है कि नई शराब नीति के माध्यम से सरकार ने राजधानी में शराब के व्यापार में निवेश करने के बदले में पंजाब के कई व्यापारियों से रिश्वत ली थी। और उन व्यापारियों को निवेश नहीं करने दिया गया जिन्होंने रिश्वत नहीं दी थी।

क्या है पूरा मामला

Arvind Kejriwal
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दिल्ली की आप सरकार ने  17 नवंबर 2021 को एक नई शराब नीति लागू की थी। लागू करते वक्त तर्क ये दिया गया था कि इससे दिल्ली को 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा। इस नीति में कुल 849 शराब की दुकानी खुलनी थी। साथ ही जहां पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी थी वहीं अब नई नीति के कारण 100 प्रतिशत शराब की दुकानें प्राइवेट कर दी गई थी। यह नीति कुछ ही समय तक चल पाई और एक समय ऐसा आया की ये नीति सरकार के गले का कांटा बन गई।

इस नीति पर कई लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए जिसके बाद सरकार ने इस नीति को बंद कर पुरानी नीति को फिर से शुरू कर दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस नीति के चक्कर में दिल्ली के पूर्व सीएम मनीष सिसोदिया एवं पार्टी और सरकार के कई अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

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