Chirag Paswan: मोदी 3.0 में वैसे तो कई नई चेहरे शामिल किए गए हैं लेकिन एक व्यक्ति ऐसा है जिसकी चर्चा अब चारों ओर हो रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान (Chirag Paswan) की। रविवार शाम को मोदी 3.0 में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद बिहार की हाजिपुर सीट से चुने गए चिराग पासवान इस गठबंधन वाली सरकार में सबसे युवा मंत्री बन गए हैं।
आपको बता दें इस बार चिराग जिस सीट से लड़कर संसद पहुंचे हैं वो उनकी पुश्तैनी सीट मानी जाती है क्योंकि उनके पिता रामविलास पासवान भी इस सीट से करीब 8 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। देखा जाए तो चिराग का राजनीतिक करियर काफी लंबा चौड़ा नहीं है, लेकिन अपने इस छोटे करियर में ही उन्होंने काफी कुछ हासिल कर लिया है। आईए उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं।
राजनीति में आना नहीं था Chirag Paswan का सपना

31 अक्टूबर 1982 में बिहार के खगड़िया जिले में जन्में चिराग पासवान बचपन से ही राजनीति की बारिकियों को अच्छे से समझते थे क्योंकि उनके पिता रामविलास पासवान काफी बड़े और कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे। लेकिन राजनीति में जाना चिराग (Chirag Paswan) का कोई सपना नहीं था और यही कारण था कि उन्होंने चुनाव में उतरने की बजाय बिट्स पिलानी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। वहीं चिराग ने राजनीति में एंट्री करने से पहले अपनी किस्मत बॉलिवुड़ में भी अजमाई।
हालांकि फिल्मों में चिराग की किस्मत नहीं चमक पाई और जल्द ही उन्होंने अपने फिल्मी करियर को छोड़कर राजनीति में एंट्री मार ली। वहीं अपने एक इंटरव्यू में चिराग बताते हैं कि “मैंने बॉलिवुड़ को नहीं छोड़ा बल्कि बॉलिवुड़ ने मुझे छोड़ा है”। इसके साथ ही चिराग ने ये भी कबूला है कि फिल्मों में काम करने के दौरान ही वो समझ गए थे कि उनकी जगह यहां नहीं है।
कंगना के हीरो बने थे Chirag Paswan

2011 में जब चिराग ने फिल्मी दुनिया में कदम रखने का मन बनाया था तो संयोग से उन्हें पहली फिल्म ऐसी मिल गई जिसमें लीड रोल में कंगना रनौत थी । निर्देश तनवीर खान द्वारा बनाई गई इस फिल्म में एक ओर जहां चिराग अपने डेब्यू पर थे तो वहीं कगंना एक बड़ी स्टार बन चुकी थी, ऐसे में चिराग के लिए ये किसी चुनौती से कम नहीं था। ये फिल्म एक स्पोर्टस लव स्टोरी है जिसमें चिराग एक टेनिस के दीवाने के रूप में दिखाए गए हैं। हालांकि फिल्म रिलीज हुई तो इस पर ज्यादा लोगों का ध्यान भी नहीं गया और फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई। जिसके बाद चिराग समझ गए की फिल्मी दुनिया नहीं उनकी जगह राजनीति में है।
हाजीपुर लोकसभा सीट से पहुंचे संसद
साल 2020 में पिता का निधन होने के बाद जिस तरह से लोजपा के अंदर पारिवारिक कलह के कारण फूट पड़ी उससे लोजपा के भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा था लेकिन राजनीति में नए नए आए चिराग पासवान ने पिता के बाद जिस तरह से अपनी पार्टी को संभाला है उसी के कारण आज भारतीय राजनीति में उनका कद काफी बड़ा हो गया है। बता दें कि अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत भी उन्होंने 2014 में बिहार की जमुई सीट से की थी और इस पहले चुनाव में ही उन्होंने आरजेडी के शुधांसु शेखर भास्कर को बुरी तरह हरा दिया था।
वहीं, 2019 में भी चिराग (Chirag Paswan) ने इसी सीट से चुनाव लड़ा और भूपेश चौधरी को हराकर दूसरी बार संसद में पहुंच गए। लेकिन इस बार चिराग (Chirag Paswan) ने ये सीट छोड़कर अपनी पुश्तैनी सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ा और राजद के शिवचंद्र राम को एक लाख 70 हजार 105 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया है।