Inflation report card: इन दिनों मंहगाई का शोर आपको हर तरफ सुनाई दे ही रहा होगा। बाजार में जाकर अगर इन दिनों आप सब्जियों, फलों या फिर दालों की कीमतें पूछेंगे तो हो सकता है कि आपका सिर चकरा जाए। जी हां, इन दिनों महंगाई सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है और उसकी चपेट में आ रहा है गरीब जिसके लिए अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया है।
उधर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर मंहगाई को लेकर हमलावर नजर आ रहा है। लेकिन क्या आपको याद है कि कांग्रेस की सरकार में मंहगाई का क्या हाल था? किसकी सरकार में मंहगाई बेलगाम हो गई थी और किसने फिर नकेल कसी। आईए कुछ आंकड़ों से इस बात को समझते हैं…..
कांग्रेस के राज में बेलगाम हो गई दी मंहगाई

1998 के वर्षों के बाद देखें तो अटल जी की सरकार ने मंहगाई पर काफी हद तक काबू पा लिया था। 2004 में बीजेपी को बुरी हार मिली और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो उस समय भी मंहगाई दर 3.767 फीसदी ही थी। लेकिन मनमोहन सिंह ज्यादा दिनों तक मंहगाई को काबू (Inflation report card) में नहीं रख पाए और मात्र एक साल में ही मंहगाई दर 4.246 पर पहुंच गया थी। मन मोहन सरकार मंहगाई को काबू में लाने में इतनी विफल साबित हुई की 2011 तक मंहगाई की दर में बढ़त ही दर्ज की गई। 2009 में जहां मंहगाई दर 10.882 था तो 2010 में वो 11.989 फीसदी पर पहुंच गया था।
हालांकि 2011 के बाद सरकार के कुछ बड़े फैसलों के कारण मंहगाई दर में कमी आई और वो 8.858 पर आ गई। 2011 में भले ही मंहगाई दर में कमी देखी गई थी लेकिन इसके बाद अगले दो सालों में मंहगाई दर 11.064 पर पहुंच गई थी। हालांकि 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार ने मंहगाई पर एक रिकॉड तोड़ लगाम लगाकर इसे 6.67 प्रतिशत पर ला दिया था।
मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाई लगाम

2014 में जब भाजपा सत्ता में आई तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी जनता को मंहगाई की मार से बचाना। विश्व बैंक द्वारा जारी भारत के मंहगाई दर के आंकड़ों को देखें तो मोदी सरकार मंहगाई पर नकेल कसने में कामयाब साबित हुई है। 2015 में महंगाई दर 4.907 थी और 2016 में 4.948, जबकी 2019 में यह 3.723 पर पहुंच गई थी। 2020 में कोरोना महामारी के कारण मंहगाई दर (Inflation report card) में इजाफा हुआ और ये 6.623 फीसदी पर पहुंच गई।
हालांकि सरकार ने इस मुश्किल समय में भी काफी अच्छा काम किया और 2021 में ही मंहगाई दर (Inflation report card) को 1.49 फीसदी कम कर दिया। वहीं, 2023 की बात करें तो पिछले साल भारत में मंहगाई दर 5.69 प्रतिशत थी जो की मई 2024 में 4.75 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
अपनी स्थिति का करें आंकलन

ऊपर बताए गए सरकारी आंकड़े हैं जिससे आप मोटामोटा ये समझ सकते हैं कि मंहगाई (Inflation report card) के मोर्चे पर सरकार के कैसा प्रदर्शन किया या फिर मंहगाई को रोकने के लिए सरकार द्वारा की गई कोशिसें कामयाब हुई की नहीं। वैसे मंहगाई के मामले में सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा इसके लिए आप एक और पैमाना इस्तेमाल कर सकते हैं और वो पैमाना है खुद की आर्थिक स्थिति का आंकलन करना।
यानी की इस बात का आंकलन करना की मंहगाई की तुलना में आपकी आमदनी कितनी बढ़ी। वहीं, एक दूसरे सरकारी आंकड़ें की बात करें तो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भले ही मंहगाई दर में कमी देखी गई हो लेकिन उस दौरान कीमतें 24 प्रतिशत बढ़ी, इसके साथ ही मोदी सरकार के दूसरे कार्य़काल में भी 32 प्रतिशत कीमतें बढ़ी हैं।
आखिर लोकसभा चुनाव 2024 होते ही क्यों बढ़ी देश में महंगाई, जानिए पूरा सच