Sunita Kejriwal: दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव होने की अटकलें तेज हो गई हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जल्द इस्तीफा देने की चर्चा जोरों पर है। इस घटनाक्रम के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि केजरीवाल की जगह दिल्ली की कमान किसके हाथों में होगी। संभावित दावेदारों में सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal), आतिशी, सौरभ भारद्वाज, और गोपाल राय जैसे नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही अटकलें हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) दलित या मुस्लिम समुदाय से किसी विधायक को मुख्यमंत्री पद पर बैठा सकती है, जिससे राज्य की राजनीति में नया समीकरण देखने को मिल सकता है।
क्या Sunita Kejriwal होगी नई सीएम?
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक प्रमुख उम्मीदवार के रूप में उभर रही हैं। आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस पर प्रकाश डाला कि 21 मार्च को जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था, उस कठिन समय में सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) ने पार्टी के प्रचार अभियान को मजबूती से संभाला। उन्होंने दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए सक्रिय प्रचार किया। इसके साथ ही, सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की पूर्व अधिकारी होने के नाते, सरकारी कामकाज की गहरी समझ रखती हैं, जो उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाता है।
मजूबत दावेदारों की सूची में आगे आतिशी
आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी मार्लेना भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही हैं। आप आलाकमान के करीबी होने और महिला नेता होने के नाते, उनके पक्ष में कई मजबूत कारण हैं। आतिशी, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भरोसेमंद सहयोगी रही हैं, जिससे उनकी दावेदारी और भी मजबूत हो जाती है।
2013 के विधानसभा चुनावों में आप के घोषणापत्र को तैयार करने वाली समिति की प्रमुख सदस्य के रूप में उनकी भूमिका अहम रही थी। पार्टी के विस्तार में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान में आतिशी दिल्ली सरकार में दूसरी सबसे प्रभावशाली मंत्री मानी जाती हैं, जिनके पास पांच प्रमुख विभाग हैं, जिनमें महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, पर्यटन, कला, संस्कृति और भाषा, लोक निर्माण विभाग और बिजली शामिल हैं।
इन सभी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाने के कारण उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पार्टी के भीतर और बाहर उनकी नीतिगत विशेषज्ञता और जनसमर्थन उन्हें इस रेस में एक प्रमुख चेहरा बनाते हैं।
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