Hartalika Teej : सनातन धर्म में कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं. इनमें हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का त्योहार भी शामिल है. पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का त्योहार अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है. धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक का जीवन हमेशा खुशहाल रहता है और विवाह से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती हैं. जानिए इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा किस तरह की जानी चाहिए और इस वर्ष हतालिका तीज कब मनाई जा रही है.
Hartalika Teej : इस वर्ष कब मनाई जाएगी हरतालिका तीज
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का पर्व 6 सितंबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी तीज की शुरुआत 05 सितंबर से दोपहर 12 बजे तक 21 मिनट पर होगी. वहीं यह तारीख 06 सितंबर को दोपहर 03 बजे 21 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर को रखा जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजे से प्रातः 02 बजे तक प्रातः 08 बजे से 33 मिनट तक है. इस दिन (Hartalika Teej) सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. कई जगह विवाह योग्य युवतियां भी मनवांछित वर की कामना करते हुए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं.
क्यों और कब मनाया जाता है हरतालिका तीज पर्व?
हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत बेहद कठिन होता है. इसे उत्तर भारत के कई इलाकों में विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है. हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को रखा जाता है. यह पर्व पति की लंबी उम्र और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए मनाया जाता है. हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बनी है हरतालिका और अलिका. हरत का अर्थ हरण और आलिका का मतलब सखी है. यानी ‘सखियों द्वारा हरण’ वहीं ‘तीज’ तृतीया तिथि को कहा गया है. हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का इतिहास पौराणिक कथाओं में निहित है. यह त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का स्मरण करता है.
पौराणिक कथाओं में हरतालिका तीज की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए गंगा नदी के तट पर कठोर तप किया था. लेकिन उनके पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु जी से करने का निर्णय लिया. ऐसे में देवी पार्वती ने अपनी पीड़ा सहेलियों से कही. इस पर सहेलियों ने अपने समर्पण के साथ अपना त्याग कर लिया और पार्वती जी को घने जंगल में छिपा दिया. इसके बाद माता पार्वती ने तब तक उस घने जंगल में अपनी साधना की, जब तक भगवान शिव को देवी के बारे में पता नहीं चला और उन्होंने माता पार्वती से विवाह के लिए सहमति नहीं दी. उस समय से ही हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का त्योहार मनाया जाने लगा.
हरतालिक तीज व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत वैसे ही निर्जला रखा जाता है. लेकिन इस व्रत पर कुंवारी कन्याएं फलाहार कर सकती हैं. ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. हरितालिका तीज की पूजा के दिन सूर्योदय से पहले स्नान स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल दें. घर और मंदिर की सफाई करें. इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए. विधि पूर्वक महादेव का अभिषेक करें. माँ पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीज़ें चढ़ाई जानी चाहिए. देसी घी का दीपक आरती और हरतालिका तीज (Hartalika Teej) व्रत की कथा पढ़ें. भगवान को वस्त्र और भोग लगाए.
इस दिन महिलाओं को क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन (Hartalika Teej) व्रती महिलाओं को किसी से अपशब्द देखने से भी बचना चाहिए. इस दिन किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए और ना ही किसी से बैर रखनी चाहिए. इस दिन व्रत रखने वाली महिला को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि व्रत (Hartalika Teej) के दौरान दूध को दुर्भाग्य का संकेत दिया जाता है. इस दिन काले और सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. काले रंग की नकारात्मक शक्ति का वर्णन है और सफेद रंग के कपड़े वैवाहिक जीवन को नहीं दर्शाते हैं. सफेद कपड़े सुहागन महिलाओं के लिए होते हैं.
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