Kanwar Yatra 2024: भोले नाथ के भक्त जिस महीनें का इंताजर पूरे साल भर करते हैं वो सावन का महीना अब जल्द ही आने वाला है। इस सावन के महीनें में शिव के लाखों भक्त आपकों सड़कों पर कंधों पर कावड़ लिए “बोल-बम, बम-बम” के नारों लगाते हुए नजर आने वाले हैं। प्रशासन भी अब इस भव्य यात्रा के लिए तैयारियां करने में जुट गया है। आपको बता दें कि हिंदु धर्म में कावंड़ यात्रा को अत्यंत पवित्र और फलदायक यात्रा माना जाता है।
इस यात्रा में भक्त कंधे पर कावड़ लिए हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कोशिस करते हैं और शिव भी इस यात्रा को करने वाले भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। तो चलिए जानते हैं इस यात्रा के बारे में कि आखिर ये यात्रा शुरू कब से होने वाली है और इसे कैसे किया जाता है।
सावन के महीनें से शुरू होगी Kanwar Yatra 2024
कावड़ यात्रा हर साल सावन के महीनें में शुरू होती है, मान्यता है की इस यात्रा को करने वाले व्यक्ति के ऊपर शंभूनाथ की विशेष कृपा दृष्टि होती है। जिस कारण हर साल लाखों शिवभक्त पैदल कावड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं। बताया जा रहा है कि इस बार सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहे हैं, ऐसे में कांवड़ यात्रा भी इसी दिन से शुरू हो जाएगी जो की 2 अगस्त को सावन शिवरात्री के मौके पर खत्म होगी।
कैसे की जाती है कांवड़ यात्रा
इस पवित्र यात्रा में हर साल लाखों करोड़ों लोग शामिल होते हैं। मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्री को सबसे पहले गंगा के किनारे पहुंचना होता है और फिर यहीं से वो कलश या फिर मटके में गंगाजल भरकर उसे कांवड़ में बांधकर पैदल यात्रा (Kanwar Yatra 2024) शुरू कर देता है। इस पैदल यात्रा को समाप्त शिवभक्त उस मंदिर में करता है जिस मंदिर पर उसे शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करना होता है। यात्रा के दौरान जगह जगह पर लोग शिवभक्तों की सेवा में लगे रहते हैं। कोई इन भक्तों के लिए रात्री विश्राम की व्यवस्था करता है तो कोई इनके जलपान और खाने की व्यवस्था।
यानी की कांवड़िए तो शिव की भक्ति में लीन होते ही हैं साथ में कुछ लोग इन कांवड़ियों की भक्ति में भी लीन नजर आते हैं। आपको बता दें कि हिंदु धर्म में ऐसी मान्यता है कि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024) की शुरूआत भगवान परशुराम ने की थी। शिवभक्त परशुराम ने गढ़ मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल भर पैदल यात्रा शुरू की थी और उन्होंने उत्तरप्रदेश के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ में इस गंगा जल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया था।
कांवड़ यात्रा के होते हैं कठिन नियम
देश के कोने कोने से लोग इस यात्रा (Kanwar Yatra 2024) में शामिल होकर शिव का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। लेकिन ये यात्रा हर किसी के बस की बात नहीं होती क्योंकि ये यात्रा काफी कठिन मानी जाती है। यात्रा के दौरान एक कांवड़िए को कई नियमों का पालन करना होता है। जैसे की नंगे पैर यात्रा करना, पूरी यात्रा के दौरान सात्विक खाना खाना, कांवड़ में बांधे गए गंगाजल को जमीन पर नहीं रखना। इन सभी नियमों में नंगे पैर चलने वाला नियम काफी कठिन माना जाता है क्योंकि नंगे पैर यात्रा करने से भक्तों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं और उन्हें असहनीय पीड़ा से गुजरना होता है। हालांकि माना ये भी जाता है कि जो शिवभक्त सच्चे मन से कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2024) करता है उसके पैरों में पड़े छालों में दर्द नहीं होता।