Know-Complete-Details-About-Kanwar-Yatra-2025

Kanwar Yatra : सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस पवित्र महीने में शिव की पूजा और कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। काफी समय से लोग कांवड़ यात्रा लाकर विशेष शिव मंदिर में सावन की शिवरात्रि को जलाभिषेक करते है। इससे उनके सारे दुःख-दर्द समाप्त होकर उनकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।

ऐसे में हम आपको सावन की इस कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे रहे है।

सावन में कांवड़ यात्रा और शिव भक्ति का विशेष महत्व

Kanwar Yatra

हरिद्वार, गोमुख और गंगोत्री जैसे पवित्र स्थलों से कांवड़ में गंगाजल भरने के बाद कांवड़िये आस-पास के शिव मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इसके बाद ही उनके व्रत और अनुष्ठान पूरे होते हैं। कांवड़ यात्रा पर जाते समय भक्तगण ‘बम बोले’, ‘हर हर महादेव’ के नारे लगाते हैं और भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर कांवड़ में गंगाजल लाने के लिए निकल पड़ते हैं।

लोगों के मन में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति है कि कांवड़ यात्रा कब शुरू होगी। आइए आपको बताते हैं कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की तिथि, महत्व और यह भी कि पहली बार कांवड़ यात्रा कब और कैसे शुरू हुई।

सावन में कांवड़ यात्रा कब से और कब तक चलेगी?

Kanwar Yatra

सावन का पवित्र महीना कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई को प्रातः 2:06 बजे से प्रारंभ होगा। अतः इसी दिन से सावन मास प्रारंभ होगा। साथ ही कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ होगी। कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) 23 जुलाई 2025 को सावन शिवरात्रि के दिन समाप्त होगी।
अर्थात इस वर्ष कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई तक चलेगी। कांवड़ यात्रा का समापन 23 जुलाई 2025 को सावन शिवरात्रि पर होगा और सावन का समापन 9 अगस्त 2025, शनिवार को होगा।

आस्था से संबंधित सभी खबरें यहां पढ़ें 

कांवड़ यात्रा को लेकर पौराणिक कथा

Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की उत्पत्ति समुद्र मंथन की प्रसिद्ध कथा से जुड़ी है। जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो हलाहल विष निकला था। जिससे संपूर्ण सृष्टि का विनाश हो सकता था। तब भगवान शिव ने विष पीकर उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। जिसके कारण वह नीलकंठ कहलाए।
भगवान शिव के इस त्याग और तपस्या को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने उन्हें गंगाजल अर्पित किया ताकि विष की तीव्रता शांत हो सके। गंगाजल अर्पित करने की यह परंपरा आज भी कांवड़ यात्रा के रूप में जीवित है। शिव भक्तों का मानना है कि गंगाजल अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के पापों का नाश होता है।

कांवड़ यात्रा का हिन्दू धर्म में महत्व

Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) का महत्व हिंदू धर्म में विशेष है। कांवड़ यात्रा करने से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस यात्रा का मुख्य महत्व भोलेनाथ के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करना है। कांवड़ यात्रा करने से भक्त को रोग, भय, शोक से मुक्ति मिलती है।
कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इसलिए इस महीने में भक्त हर तरह से शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

कावड़ यात्रा की सपूर्ण जानकारी

विवरण तिथि / जानकारी
कांवड़ यात्रा का शंखनाद (शुरुआत) शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 (हिन्दू पंचांग अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा)
कांवड़ यात्रा का समापन सोमवार, 21 जुलाई 2025 (सावन का पहला सोमवर)
जलाभिषेक का मुख्य दिन सोमवार, 21 जुलाई 2025 (सावन का पहला सोमवार)
यात्रा की कुल अवधि लगभग 18 दिन
मुख्य दिन कौन सा है? सावन का पहला सोमवार, शिवलिंग पर जल अर्पण का दिन
प्रमुख मार्ग हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री से जल भरकर पैदल अपने गांव या शहर के शिव मंदिर तक
सावधानी और सुरक्षा भारी भीड़, ट्रैफिक बदलाव, हेल्थ सेवाएं, ध्वनि सीमा लागू

यह भी पढ़ें : रोहित और कोहली के वनडे से संन्यास लेते ही चमक जाएगी इन 2 खिलाड़ियों की किस्मत, इंतजार में ढल रही जवानी

मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...