Sawan somvar: 12 अगस्त को सावन (Sawan somvar) का चौथा सोमवार है। इस विशेष दिन अगर आप भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको रुद्राभिषेक के सही समय के बारे में सटीक जानकारी ले लेनी चाहिए। माना जाता है कि सावन के चौथे सोमवार का व्रत लेने से शुभफलों की प्राप्ती होती है। इस दिन अगर आप पूरे विधी विधान से भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करते हैं तो भगवान शिव ही नहीं बल्कि आपको माता पार्वती का भी आर्शीवाद प्राप्त होगा, घर परिवार में सुख सुख-समृद्धि बनी रहेगी एवं आपके जीवन के आने वाली कई परेशानियां से पल भर में दूर हो जाएंगी। तो आईए जानते हैं कि रुद्राभिषेक का सही समय क्या है और इसे कैसे किया जाता है।
रुद्राभिषेक का सही समय
हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार, सावन के चौथे सोमवार (Sawan somvar) के दिन सप्तमी तिथि का निर्माण हो रहा है, जो की सुबह 7:55 तक रहेगा। इतना ही नहीं इस पावन दिन पर स्वाति नक्षत्र भी निर्मित हो रहा है, जो सुबह 8:23 तक रहेगा और इसके बाद शुरू होगा विशाखा नक्षत्र। सावन के चौथे सोमवार (Sawan somvar) के दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का भी निर्माण हो रहा है। गणना के अनुसार शुक्ल योग शाम 04:26 तक बना रहेगा और फिर इसके बाद ब्रह्म योग शुरू हो जाएगा। कई ज्योतिषियों और पंडितों के अनुसार इन दोनों योगों में रुद्राभिषेक (Sawan somvar) करना किसी भी जातक के लिए अति उत्तम साबित होगा।
कैसे करें रुद्राभिषेक
- भोलेनाथ के रुद्राभिषेक के लिए सर्वप्रथम गौरी पुत्र भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें।
- रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें एवं फिर पूजा शुरू कर दें।
- शिव-गौरी के साथ नौ ग्रहों का भी स्मरण करें एवं फिर रुद्राभिषेक का उद्देश्य बताएं।
- उत्तर दिशा की और शिवलिंग को स्थापित करें।
- पूर्व दिशा में बैठ जाएं और मिट्टी के शिवलिंग जल अर्पित करें।
- शिवलिंग को पवित्र गंगाजल से स्नान करवाएं और फिर रुद्राभिषेक में इस्तेमाल होने वाली चीजे भोलेनाथ को अर्पित करें।
- अंत में महादेव को प्रसाद अर्पित करें, पूजा में इस्तेमाल किए गए जल और अन्य द्रव्यों का परिवार के लोगों पर छिड़काव करें।
रुद्राभिषेक के लिए जरूरी हैं ये नियम
- जो मंदिर नदी के किनारे या फिर पर्वत के किनाऱे पर हो, वहां स्थित शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना अत्यंत पवित्र माना गया है।
- मंदिर के गर्भगृह में स्थिति शिवलिंग पर जलाभिषेक करना भी शुभ माना जाता है।.
- रुद्राभिषेक करने के लिए केवल तांबे के लौटे का ही उपयोग करें।
- आप घर में स्थापित किए गए शिविंलग का भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं, इसके अलावा महादेव के मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करना भी अति उत्तम माना जाता है।
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