Shri Krishna : हिन्दू धर्म बहुत रहस्यों और पारलौकिक बातों से भरा हुआ है. जिसे जानना और समझना हर किसी के लिए सम्भव नहीं हो पाता है. हिन्दू धर्म में कईं देवी-देवताएं हैं और सभी अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं. वहीं भगवान विष्णु के अवतार और द्वापर में अवतरित हुए भगवान श्री कृष्ण के कईं मंदिर भारत में देखे जा सकते हैं. लोगों की आस्था भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) में बहुत हैं.
साथ ही श्री कृष्ण (Shri Krishna) की लीलाएं भी बहुत हैं. ऐसी ही एक लीला उनकी जुड़ी है जो कलयुग में बहुत प्रचलित है. और यह लीला एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ी हैं. कहा जाता है कि उस मंदिर में उनका ह्रदय मौजूद हैं. जिसे हर कोई नहीं देख सकता. केवल वहां के पुजारियों ने ही उसे महसूस किया है. आइए आपको बताते है इससे जुड़ा रहस्य क्या है.
जगन्नाथ पुरी में धड़कता है श्री कृष्ण का दिल
दरअसल हम बात कर रहे हैं उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर (Jagannath Puri Temple) कि जो हिन्दूओं में सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता हैं. इतना ही नहीं हिंन्दू मान्यताओं के अनुसार चार धामों में से एक धाम इसे भी माना जाता है. कहा जाता है कि जगन्नाथ पुरी वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण का दिल धड़कता है. इसके पीछे अनेक सारी पौराणिक कथाएँ भी प्रचलित हैं.
बता दें यह धाम भगवान विष्णु के एक रूप, जगन्नाथ प्रभु को समर्पित है. उनके साथ इस स्थान पर उनके भाई-बहन सुभद्रा और बलराम भी रहते थे. धार्मिक मत के अनुसार जो भी व्यक्ति इस स्थान पर जाता है या यहाँ कि रथयात्रा में शामिल होता है, उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
पुजारी की आंखों पर बांधी जाती है पट्टी
धर्मग्रंथों के अनुसार आज भी यहां भगवान श्कृरीष्ण (Shri Krishna) के हृदय को जगन्नाथजी की मूर्ति के अंदर छुपाया हुआ है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसे जानते हैं. जब भी आषाढ़ का मास आता है तो वहां पुरानी प्रतिमाएं प्रवाहित कर दी जाती हैं और नई प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. ऐसा अनोखा संयोग लगभग हर 12 वर्ष में एक बार बनता है. इस दौरान भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसे नव कलेवर कहा जाता है. देव प्रतिमाओं के निर्माण में कई बातों का ध्यान रखा जाता है.
रहस्य तरीके से बदली हुई हैं देव प्रतिमाएं के समय पूरे शहर में बिजली बंद कर दी जाती है और बिल्कुल अंधेरा कर दिया जाता है. मंदिर में सिर्फं वही पुजारी होते हैं जो प्रतिमाओं की पूजा करते हैं और उनकी आंखों पर भी पट्टियां बांध दी जाती हैं.
पुजारी को सुनाई देती है धड़कन
पुरानी प्रतिमा से दूसरी नई प्रतिमा में वह ब्रह्मपदार्थ जगन्नाथ भगवान की प्रतिमा में डाला जाता है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के उस हृदय को यहाँ ब्रह्मपदार्थ कहा जाता है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का दिल कहते हैं. मूर्तियों को बदलने की प्रक्रिया में पुजारी सबसे पहले भगवान की पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ के टुकड़े को नई मूर्ति स्थापित करते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि जब पुजारी ऐसा करते हैं तो उन्हें दिल धड़कता हुआ महसूस होता है. आज तक इस ब्रह्मपदार्थ को किसी ने नहीं देखा.
कहा जाता है कि देह त्याग के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गई तो उनके हृदय में वहीं भाव थे जिसके बाद में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित की गई.
श्री कृष्णा के ह्रदय से जुड़ी हुई है पौराणिक कथा
द्वापर युग में जब भगवान श्रीहरि श्रीविष्णु ने श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का अवतार लिया तो यह उनका मानव रूप था. सृष्टि के नियम बताते हैं कि हर इंसान की इसी तरह की मृत्यु निश्चित थी. महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग दिया. जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया तो श्रीकृष्ण का पूरा शरीर अग्नि में जल गया लेकिन उनका हृदय नहीं जल पाया था. तब ब्रम्हा जी ने आकाशवाणी की और बोला कि उनका हृदय समुद्र में प्रवाहित कर दो. उनका हृदय समुद्र में प्रवाहित कर दिया गया है.
कभी नहीं जला था श्री कृष्णा का ह्रदय
जल में बहता श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के दिल ने एक लकड़े का रूप ले लिया और पानी में बहते-बहते उड़ीसा के समुद्र तट पर पहुंच गया. उसी रात वहां के राजा इंद्रद्युम्न को श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि उनका हृदय एक लट्ठे के रूप में समुद्र तट पर स्थित है. सुबह जागते ही राजा इंद्रद्युम्न ने उसे देखा और उसे मूर्त रूप देने का मन बनाया. यह लट्ठा राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर इसे स्थापित किया था. तब से वह दर्शनीय है. ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ प्रभु भी हैं.
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