बेटों ने छोड़ा साथ अकेले ही स्टाल लगाती और खाना बनाकर गुजारा करती हैं आगरा की 'रोटी वाली अम्मा'

आज हम आपकों आगरा की अम्मा की कहानी बताने जा रहे है, जो 20 रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिलाती हैं, लेकिन आज उनकी रसोई भी सूनी पड़ी है. जानकर हैरत ज़रुर हुई होगी कि महज़ बीस रुपए में लोगों का पेट भरती हैं उनका नाम भगवान देवी है. इनके ढाबे पर आप सिर्फ 20 रुपए में दाल, सब्ज़ी, चावल और रोटी खा सकते हैं. यानी इस महंगाई के दौर में भी वो आपको भरपेट खाना सिर्फ 20 रुपए में दे रही हैं, लेकिन आगरा की रोटी वाली अम्मा इन दिनों काफी परेशान हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह है ढाबे पर ग्राहकों का कम होना. कोरोना के बाद अम्मा ने अपना काम तो शुरू कर लिया लेकिन वो पुरानी भीड़ अब इनकी दुकान पर नहीं दिखाई देती है और अब तो खाना खाने वालों की गिनती लगातार कम हो रही है.

लॉकडाउन के कारण रिक्शवालों का आना भी हुआ कम

बेटों ने छोड़ा साथ अकेले ही स्टाल लगाती और खाना बनाकर गुजारा करती हैं आगरा की 'रोटी वाली अम्मा'

पहले यहां कई रिक्शेवाले  खाना खाने आते थे मगर लॉकडाउन के चलते उनका आना भी बहुत कम हो गया है. भगवान देवी ये काम पिछले 14-15 सालों से कर रही हैं. मगर अब उन्हें लगता है कि ये काम ज़्यादा दिन नहीं चलेगा. हालांकि इतनी उम्र के बाद भी उनके काम करने की ख़्वाहिश में ज़रा सी भी कमी नहीं दिखाई देती है लेकिन हालात अब पहले जैसे नहीं रहे.

बेटों ने छोड़ा साथ अकेले ही स्टाल लगाती और खाना बनाकर गुजारा करती हैं आगरा की 'रोटी वाली अम्मा'

पूछने पर पता चला कि इनके दो बेटे हैं मगर मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. अम्मा कहती हैं कि कोई उनकी मदद नहीं करता अगर कोई मदद करता तो उन्हें इस उम्र में इस तरह काम ना करना पड़ता. धीरे-धीरे सब नॉर्मल हो रहा है, लेकिन भगवान देवी के स्टॉल पर कस्टमर्स ने अब भी दस्तक नहीं दी है. वो जिस जगह अपना स्टॉल लगाती हैं, वहां भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, उन्हें ये डर रहता है कि कहीं उनका स्टॉल न हटा दिया जाए.

खुद बताई अपनी पीड़ा

बेटों ने छोड़ा साथ अकेले ही स्टाल लगाती और खाना बनाकर गुजारा करती हैं आगरा की 'रोटी वाली अम्मा'

अम्मा से जब उनके हालातों के बारे मे पूछा गया तों उन्होंने बताया कि मेरे साथ कोई नहीं है. अगर कोई साथ होता तो ये दिक्कत नहीं आती. मुझे रोज़ डर लगता है कि कहीं मुझे यहां से हटा न दें. मैं कहां जाऊंगी? मुझे बस यही आशा है कि मेरी एक परमानेंट दुकान हो.”

मेरा नाम दिव्यांका शुक्ला है। मैं hindnow वेब साइट पर कंटेट राइटर के पद पर कार्यरत...

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