कानपुर- बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के एक माह बाद रक्षाबंधन पर भी गांव में पहले जैसी चहल-पहल नहीं दिखी। गांव में चारों तरफ सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। घटना को एक माह बीतने के बाद भी गांव वाले इस घटना को भुला न पाए हैं। 8 पुलिसकर्मियों की मौत और उसके बाद ताबतोड़ एनकाउंटर ने गांव वालों को हिला दिया। जिनका एनकाउंटर हुआ वो सब इसी गांव के रहने वाले थे। दहशतगर्द विकास दुबे की कोठी के पास प्रेम प्रकाश पांडे, प्रवीण उर्फ बउआ दुबे, प्रभात मिश्रा, अतुल व अमर दुबे के घरों में सन्नाटा पसरा रहा।
अपराधियों के परिजन अपनी किस्मत को कोसते रहे
मुठभेड़ में मारे गए आरोपियों के परिजन अपने नसीब को कोसते और सिसकते रहे। अमर के घर में मौजूद वृद्धा ज्ञानवती, बउआ की वृद्ध मां पूर्णिमा व पिता ओमप्रकाश, प्रेम प्रकाश पांडेय की पत्नी सुषमा व बहू मनु के अलावा प्रभात की दादी राजकली और मां गीता दिनभर दरवाजे पर बैठी सिसकती रहीं।
दूसरी ओर चौखट पर बैठी हिमांशी राखी पर अपने इकलौते भाई प्रभात के गम में गुमसुम सी एकटक दरवाजे की ओर निहारती रही। जेल भेजे गए श्यामू बाजपेई की बहनें एकलौते भाई के लिए आंसू बहाती रहीं। गोपाल सैनी व उसके भाई गोविंद सैनी के घर वीरान पड़े थे। उनके घर से कोई भी निकलता न दिखाई दिया।
एसएसपी ने बिकरू गांव का लिया जायजा
कानपुर जिले का चार्ज संभालने के बाद से ही डीआईजी/ एसएसपी प्रीतिंदर सिंह बिकरू कांड की गहन पड़ताल में जुटे हैं। सोमवार को बिकरू गांव पहुंच गए और घटनास्थल का जायजा लिया। उन्होंने 20 मिनट घटनास्थल पर पूरे क्राइम सीन को गहनता से समझने का प्रयास किया। वह हर एक जगह पर बारी बारी से गए, जहां पर दो जुलाई की रात आठ पुलिस कर्मियों को मारा गया था। एसएसपी ने घटना के बाद मुठभेड़ में मारे गए विकास दुबे व उसके पांच गुर्गो के घरों को भी देखा।