श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सबसे ज्यादा जहां धूम मचती है वो ब्रज नगरी मथुरा इस बार धूम नहीं मचाएगी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर जैसा उल्लास देखने को मिलता है। इस बार ऐसा कोई उल्लास देखने को नहीं मिलेगा जिसको लेकर लोगों में निराशा भी है और इस पूरी निराशा का कारण कोरोनावायरस हैं जिसने देश के सारे त्योहारों की रौनक छीन ली है और वहीं अब इस बार जन्माष्टमी महोत्सव भी देखने को मिलेगा।
12 अगस्त को मनाई जएगी जन्माष्टमी
भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी को लेकर पूरे देश में धूम रहती है। इस बार 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी लेकिन मथुरा में धूम धाम नहीं होगी। भक्तों को इस बार मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा उन्हें जन्मस्थान परिसर में भी नहीं जाने को मिलेगा। कोरोनावायरस के कारण लोगों को घरों से ही अपने ईष्ट भगवान कृष्ण की उपासना करनी होगी।
नहीं होगी कोई कमी
भले हीं इस बार भक्तों को जन्माष्टमी महोत्सव में प्रवेश नहीं मिलेगा पर इसका मतलब ये नहीं कि ठाकुर जी के साज श्रृंगार और जन्मोत्सव में कमी होगी। इस मामले में श्रीकृष्णजन्मसेवा संस्थान के सचिव ने बताया है कि भगवान का साज श्रृंगार पहले की तरह ही होगा। इस मौक़े पर किसी भी प्रकार की कमी नहीं रखी जाएगी।
उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के लिए पत्र, पुष्प, रत्न प्रतिकृति, के साथ साज श्रृंगार किया जाएगा वहीं वो पुर्णेन्दु-कुंज बंगले पर विराजमान होंगे और उधके सीधे दर्शन दूरदर्शन के माध्यम से पूरे विश्व में होंगे। उन्होंने बताया कि पत्र, पुष्प, काष्ठ आदि से बनाएं हुए इस बंगले का दृश्य मनोहारी होगा।
कोरोनावायरस के कारण हुआ फैसला
इस मौके पर सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस वर्ष कोरोनावायरस के कारण ही लोगों को मंदिर या जन्मस्थान में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साज सज्जा की ऐसी व्यवस्थाएं ऐसी होगी कि भक्तों को यही प्रतीत होगा कि वो मंदिर और जन्मस्थान में ही जन्माष्टमी का उत्सव देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि म़दिर में जन्माष्टमी का कार्यक्रम इस बार 11 दिसंबर की शाम 6 बजे से शुरू हो जाएगा और भगवान राधाकृष्ण को पत्र, पुष्प, काष्ठ आदि से निर्मित पोशाक में सजाया जाएगा और वे कामधेनु गाय के समान रजत कमल के की सजावट वाले विशेष दर्शन के साथ भक्तों के सामने प्रकट होंगे।